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अनुच्छेद 25 तथा इससे सम्बंधित मुद्दे (धर्मांतरण, संथारा आदि) | Article 25 in Hindi

संविधान और राजव्यवस्था के इस लेख में हम भारतीय संविधान में प्रदत्त Maulik Adhikar में 4th मौलिक अधिकार अर्थात 'Dharmik Swatantrata Ka Adhikar' के बारे में चर्चा करेंगे। Dharmik Swatantrata Ka Adhikar संविधान में अनुच्छेद 25 से 28 तक दिया गया है। इस लेख में 'Anuchchhed 25' तथा इससे सम्बंधित मुद्दों व उनमें न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है। 


Article 25 in Hindi


Table of Content


 

भारतीय संविधान का 'अनुच्छेद 25' - Article 25 in Hindi

अनुच्छेद 25 के अनुसार "सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की, किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता होगी"। 


अनुच्छेद 25 के अन्य प्रावधान निम्नलिखित है -

→ हिन्दू धार्मिक संस्थाएँ सभी वर्गों के लिए खोली जायेंगी। हिन्दू के अंतर्गत - हिन्दू, जैन, सिख व बौद्ध शामिल माने जायेंगे। 


→ सिखों को कृपाण धारण करने का अधिकार होगा। 


→ धार्मिक स्वतंत्रता पर सीमा लगाई जा सकती है। यह सीमा निम्नलिखित आधार पर लगाई जा सकती है -

  • कानून व्यवस्था 
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य (यथा - Covid)
  • सदाचार (धर्म के नाम पर होने वाले अनैतिक कार्यों पर रोक)


अनुच्छेद 25 की व्याख्या - Article 25 in Hindi

संविधान में अन्तःकरण (conscience) शब्द का व्यापक अर्थ है। इसमें किसी धर्म को मानने या किसी भी धर्म को न मानने (नास्तिक/अनिश्वरवादी) दोनों को शामिल किया गया हैकिसी भी धर्म को न मानना भी एक मौलिक अधिकार है। यदि कोई किसी धर्म को मानता है तो उसे 3 अन्य मौलिक अधिकार प्राप्त है -

  • किसी भी धर्म को मानना/स्वीकार करना। 
  • अपने धर्म के अनुसार आचरण करना अर्थात यदि हिंदू है तो मूर्तिपूजा, पाठ करना, रुद्राभिषेक आदि और यदि मुस्लिम है तो रोजा रखना, मस्जिद जाना आदि उसके मौलिक अधिकार हैं। 
  • अपने धर्म का प्रचार करना। 



⇒ हिंदू धार्मिक संस्थाएं सभी वर्गों के लिए खोलने का प्रावधान समाज सुधार के लिए किया गया था, ताकि 'अस्पृश्यता' (Untouchability) को समाप्त किया जा सके। ईसाई व मुस्लिम धर्म में भी अस्पृश्यता है किंतु मस्जिदों व गिरजाघरों में यह उतनी नहीं है जितनी की मंदिरों में है। 


⇒ सिखों को कृपाण रखने का मौलिक अधिकार इसलिए है क्योंकि यह एक धार्मिक आचरण है। सिख धर्म में 'पंच कक्के' नामक एक पद्धति है, जिसमें सिख व्यक्ति पांच 'क' से शुरू होने वाली वस्तुएं (केश, कंघा, कड़ा, कच्छा, कृपाण) धारण करता है। 



अनुच्छेद 25 से सम्बंधित मुद्दे - Cases Related to Article 25 

1. धर्म के अनुसार आचरण करने की स्वतंत्रता और संथारा/सलेखना का मुद्दा:

संथारा/संलेखना (Santhara/Sallekhana) जैन धर्म की एक आचरण पद्धति है, जिसमें व्यक्ति अन्न, जल आदि का परित्याग कर मृत्यु (मुक्ति) को प्राप्त हो जाता है। 


राजस्थान में 2006 में एक महिला ने संथारा की घोषणा की और उसकी प्रक्रिया शुरू कर दी। इस पर एक एडवोकेट निखिल सोनी ने जयपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation-PIL) दायर की। जिसमें उसने संथारा प्रक्रिया को IPC की धारा 309अनुच्छेद 21 के तहत अवैध ठहराने की मांग की तथा हाईकोर्ट ने अनुच्छेद 21 के तहत संथारा को अवैध घोषित कर दिया। 


[भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 309 के तहत आत्महत्या का प्रयास करना व आत्महत्या में सहायता करना दोनों दंडनीय अपराध है।]


आगे यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। जहां 2016 के अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 25 के तहत संथारा पद्धति को वैध ठहराया और कहा कि केवल जैन मत के लोगों को इसकी अनुमति होगी, अन्य को गिरफ्तार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने संथारा को अनुच्छेद 25 के तहत सही माना क्योंकि यह जैनों की एक आचरण पद्धति है, जो वर्षों से चली आ रही है। हमारे देश में विधि का शासन है, इसलिए अनुच्छेद 25 के तहत संथारा वैध है। 


2. धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता और दिवाली में पटाखे चलाने का मुद्दा/Toddler's Case, 2014:

Toddler's Case, 2014 में याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका (petition) में कहा कि रिहायशी इलाकों में पटाखे चलाने  पर बैन लगाया जाए और पटाखे चलाने के लिए कोई सुनसान जगह निश्चित कर दी जाए। क्योंकि अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार (M.C मेहता केस, 2002) भी एक मौलिक अधिकार है। 


इस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया की दिवाली में पटाखे जलाने पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती है, क्योंकि अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है। इसी प्रकार अनुच्छेद 29 के तहत संस्कृति की संरक्षण का अधिकार भी मौलिक अधिकार है। लेकिन न्यायालय ने पटाखे चलाने पर सीमा लगाते हुए यह निर्धारित किया कि पटाखे रात में (10pm से 6am) नहीं जलाया जा सकते हैं। 


3. धर्म का प्रचार (Propagate) करने की स्वतंत्रता तथा धर्मांतरण का मुद्दा/स्टेनिस्लास केस, 1977:

इस केस में यह जिरह की गई की क्या धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता के तहत धर्मांतरण करवाना मौलिक अधिकार है?


न्यायालय के अनुसार धर्मांतरण करवाने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्मांतरण करना चाहता है तो यह उसका मौलिक अधिकार है। छल (Fraud), बल (Force), लोभ (Greed) आदि से किया गया धर्मांतरण अवैध होगा


Other Fundamental Rights:

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