'शिक्षा का अधिकार' (Right to Education in Hindi) भारतीय संविधान के भाग III में प्रदत्त मौलिक अधिकारों में से एक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है जिसके बारे में प्रावधान Anuchchhed 21A (Article 21A in Hindi) में किये गए है। इस लेख में हम इसी मौलिक अधिकार अर्थात शिक्षा का अधिकार (Article 21A in Hindi) के बारे में पूरे विस्तार से जानेंगे।
अनुच्छेद 21A - Article 21A in Hindi
अनुच्छेद 21A के अनुसार "राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा"।
- अनुच्छेद 21A भारत के मूल संविधान में नहीं था इसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया।
- भारतीय संविधान का 'अनुच्छेद 21' तथा इससे सम्बंधित महत्वपूर्ण केस
- जीवन का अधिकार और इच्छामृत्यु/दयामृत्यु (Euthanasia)
अनुच्छेद 21A/शिक्षा के अधिकार की पृष्ठभूमि - Background of Right to Education Act
मोहिनी जैन VS कर्नाटक राज्य, 1992
शिक्षा के अधिकार से सम्बंधित पहला मामला 'मोहिनी जैन बनाम कर्नाटक राज्य' का था। इसमें हुआ ये था की कर्नाटक राज्य के विधानमंडल ने 'Karnataka Educational Institutions' (Prohibition of Capitation Fee) Act, 1984 पारित कर दिया था। इस एक्ट में यह तय किया गया था की कर्नाटक राज्य के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज विभिन्न वर्गों के विद्यार्थियों से कितना शुल्क लेंगे। इसके अंतर्गत सरकारी कोटे के विद्यार्थियों के लिए 2 हजार, कर्नाटक राज्य के विद्यार्थियों के लिए 25 हजार और कर्नाटक से बाहर के विद्यार्थियों के लिए 60 हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया गया।
न्यायालय में याचिका दायर करने वाली मोहिनी जैन उत्तरप्रदेश की निवासी थी। उसने अपनी दायर याचिका में दावा किया की शिक्षा पाने का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के तहत एक मौलिक अधिकार है और कॉलेजों द्वारा इतनी अधिक फीस लिया जाना जीवन के अधिकार से वंचित करना है।
इस मामले के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्धारित किया की अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीवन के अधिकार में शिक्षा पाने का अधिकार निहित है क्योंकि शिक्षा गरिमापूर्ण जीवन की एक आवश्यक शर्त है। प्रत्येक नागरिक को शिक्षा प्रदान करना राज्य का संवैधानिक उत्तरदायित्व है। अतः मेडिकल कॉलेज द्वारा ली जाने वाली Capitation Fee संविधान के विरुद्ध है।
आगे चलकर 86वें संविधान संशोधन, 2002 के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 21A जोड़ा गया, जिसमें 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों की निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया।
अनुच्छेद 45 और 51A में संशोधन
शिक्षा का अधिकार एक मूल अधिकार बनने के बाद अनुच्छेद 45 और 51A में भी 86वें संविधान संशोधन, 2002 के माध्यम से संशोधन किया गया। अनुच्छेद 45 में पहले प्रावधान था की राज्य बालकों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा। अब शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार बनाने के बाद इसमें 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करने की घोषणा गई।
वहीं अनुच्छेद 51A में एक नया मूल कर्तव्य जोड़ा यह जोड़ा गया की प्रत्येक माता-पिता या संरक्षक 6 से 14 वर्ष के बीच की आयु के अपने बच्चों या पालितों को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करेंगे।
निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 - Free and Compulsory Education Act, 2009 in Hindi
2002 में संविधान में संशोधन कर शिक्षा को मूल अधिकार बना दिया गया किन्तु शिक्षा के अधिकार को वास्तविक रूप देने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया। लेकिन जब समाज की ओर से दबाव बढ़ता गया तो 2009 में संसद द्वारा "निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009" (Free and Compulsory Education Act, 2009) पारित किया गया। इस अधिकार के पारित हो जाने के बाद शिक्षा का अधिकार (Right To Education in Hindi) एक वास्तविक अधिकार बन गया।
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