इस लेख में हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल की क्या ज्वालामुखी विस्फोट वायुमंडल को प्रभावित करते हैं? के बारे में चर्चा करेंगे। हम यह भी जानेंगे की ज्वालामुखी उद्गार का ओजोन परत पर क्या प्रभाव होता है? (Volcanic Eruptions and Ozone Depletion in Hindi)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में 'हंगा टोंगा-हंगा हा आपाई' ज्वालामुखी उद्गार से वायुमंडलीय ओजोन परत (Ozone layer) को नुकसान पहुंचा है।
- हंगा टोंगा-हंगा हा आपाई समुन्द्र के नीचे स्थित पनडुब्बी ज्वालामुखी (Submarine Volcano) है। यह दक्षिण प्रशांत महासागर में टोंगा द्वीप समूह में अवस्थित है। इसमें जनवरी 2022 में उद्गार हुआ था।
- यह ज्वालामुखी टोफुआ आर्क के साथ 12 पनडुब्बी ज्वालामुखियों में से एक है , जो बड़े टोंगा-केरमाडेक ज्वालामुखी चाप का एक खंड है। टोंगा-केरमाडेक चाप का निर्माण इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के नीचे प्रशांत प्लेट के धंसने के परिणामस्वरूप हुआ है।
ज्वालामुखी उद्गार ओजोन परत को कैसे प्रभावित करते हैं?
- ज्वालामुखी उद्गार से बड़े पैमाने पर उत्सर्जित जलवाष्प व धुंए का गुबार समतापमंडल में पहुंच जाता है। इस जलवाष्प उत्सर्जन के कारण अंटार्कटिका के ऊपर मौजूद ओजोन परत का समय से पहले क्षरण शुरू होने लगता है।
- ज्वालामुखी उद्गार के कारण बड़ी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड गैस समतापमंडल में पहुंच जाती है। यह गैस समतापमंडल में क्लोरीन के रासायनिक रूपांतरण में मदद करती है तथा इसे अधिक अभिक्रियाशील रूप प्रदान करती है। क्लोरीन का यह रूप ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है।
- ज्वालामुखी उद्गार से ब्रोमीन और हाइड्रोजन क्लोराइड गैस का भी उत्सर्जन होता है। इनमें भी ओजोन को नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है।
- ज्वालामुखी उद्गार से उत्सर्जित कण ओजोन क्षयकारी पदार्थों की रासायनिक अभिक्रिया के लिए सतह प्रदान करते हैं। गौरतलब है कि उत्सर्जित कण स्वयं ओजोन क्षय में योगदान नहीं करते बल्कि वे मानव निर्मित रसायनों के क्लोरीन और ब्रोमीन युक्त यौगिकों के साथ अभिक्रिया करते हैं। इस प्रकार में अप्रत्यक्ष रूप से ओजोन परत के क्षरण में योगदान करते हैं।
- ज्वालामुखी उद्गार से वायुमंडलीय ओजोन को लगभग 1-5% की क्षति हो सकती है। इससे पहले 1991 में फिलीपींस के माउंट पिनाटुबो ज्वालामुखी के उद्गार से भी ओजोन परत का क्षरण हुआ था।
ओजोन छिद्र क्या है? - What is Ozone Hole in Hindi
ओजोन छिद्र वास्तव में अंटार्कटिका के ऊपर समतापमंडल में ओजोन परत (O₃) की मोटाई का कम होना है। अक्सर ऐसे देखा गया है कि दक्षिणी गोलार्ध में बसंत के मौसम में ओजोन परत की मोटाई काफी कम हो जाती है।
दरअसल, वैज्ञानिक "ओजोन छिद्र" शब्द का उपयोग उस क्षेत्र के लिए करते हैं, जहां अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन सांद्रता 220 डॉब्सन यूनिट्स की ऐतिहासिक सीमा से काफी कम हो जाती है। पृथ्वी पर ओजोन परत की औसत मोटाई लगभग 300 डॉब्सन यूनिटस है।
ओजोन क्षरण, प्रदूषण की रासायनिक अभिक्रिया के कारण होता है। इन प्रदूषकों को "ओजोन-क्षयकारी पदार्थ (ODS)" कहा जाता है। मुख्य ओजोन-क्षयकारी पदार्थ हैं -
- क्लोरीन
- ब्रोमीन
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन
- कार्बन टेट्राक्लोराइड
- हेलोंस
ओजोन परत के संरक्षण पर अलग-अलग अभिसमय/प्रोटोकॉल
- ओजोन परत के संरक्षण पर वियना अभिसमय: इसे 1985 में अपनाया गया था.
- ओजोन पर क्षयकारी-पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: इस पर 1987 में हस्ताक्षर किए गए थे
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन, 2019: इसका उद्देश्य हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से काम करना है।
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