Annual Survey of India's City Systems
- हाल ही में गैर-सरकारी संगठन "जनाग्रह" ने अपनी वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट "Annual Survey of India's City Systems 2023" का छठा संस्करण जारी किया है।
- यह रिपोर्ट भारत के शहरों में स्थानीय शासन व्यवस्था का पहला देशव्यापी विश्लेषण प्रदान करती है। साथ ही, यह एक नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण के तहत नगर-आधारित विश्लेषण और नगर पालिका के प्रदर्शन के मूल्यांकन संबंधी दायरे का विस्तार करती है।
भारत में शहरीकरण से संबंधित मुख्य तथ्यों पर एक नजर:
⇒ भारत में जिस गति से शहरीकरण हुआ है, उसके अनुरूप शहरी प्रणाली में सुधार नहीं हुए हैं।
⇒ 51% राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी प्रशासन से संबंधित कानून आसानी से उपलब्ध होने योग्य प्रारूप में सार्वजनिक डोमेन में मौजूद नहीं हैं।
⇒ देश में 39% राजधानी शहरों के पास कोई एक्टिव मास्टर प्लान नहीं हैं।
⇒ देश के पूर्वी राज्यों में शहरी प्रशासन से संबंधित कानून अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर हैं। इसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं। इनके बाद दक्षिणी राज्यों का स्थान आता है।
⇒ अत्यधिक नगरीकृत और बड़े राज्यों ने विशेष रूप से शहरी नियोजन में बेहतर प्रदर्शन किया है। इनकी तुलना में कम नगरीकृत व छोटे राज्यों ने उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।
भारत की शहरी-प्रणालियों के समक्ष चुनौतियां
- जन सुविधाओं के विकास के लिए स्थानिक योजनाओं और डिजाइन संबंधी मानकों हेतु आधुनिक एवं समकालीन फ्रेमवर्क का अभाव है।
- वित्तीय स्थिरता और वित्तीय जवाबदेही दोनों के संदर्भ में ही स्थानीय शासन व्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं है।
- मानव संसाधन का खराब प्रबंधन।
- मेयरों और नगर परिषदों के पास सीमित प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियां हैं। इसके अलावा नगर पालिकाओं, पैरास्टैटल एजेंसीयों और राज्य के विभागों में प्रशासनिक कार्य का स्पष्ट विभाजन नहीं है।
(पैरास्टैटल ऐसी संस्था/संगठन है, जिनका पूर्ण या आंशिक स्वामित्व और प्रबंधन सरकार के पास होता है। साथ ही, उन्हें कुछ राजनीतिक शक्तियां भी प्राप्त होती है।)
- स्थानीय शासन व्यवस्था में व्यवस्थित नागरिक भागीदारी और पारदर्शिता का अभाव है।
परिवर्तन के लिए आवश्यक साधन
1. स्थानिक विकास योजनाएं (SDPs)
स्थानिक विकास योजनाएं 4E अर्थव्यवस्था (Economy), समानता (Equality), पर्यावरण (Environment) और सहभागिता (Engagement) पर आधारित होनी चाहिए।
2. मॉडल नगरपालिका अधिनियम और आधुनिक नगर परिषदें
मॉडल नगरपालिका अधिनियम और आधुनिक नगर परिषदें आवश्यक कानूनी समर्थन प्रदान करती है।
3. सहभागितापूर्ण बजटिंग
इससे बजटिंग और समस्या समाधान पर एक लक्षित व हाइपरलोकल (एक बहुत ही छोटा भौगोलिक क्षेत्र) फोकस को सुविधाजनक बनाने में सहायता मिलती है।
4. ओपन सिटीज फ्रेमवर्क
शहर में नागरिकों और सरकारों को रियल टाइम में कनेक्ट करता है।
5. डिजिटल सार्वजनिक वित्त प्रबंधन
यह शहरी सरकारों को समय पर अनुदान हस्तांतरित करने के लिए जरूरी है।
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