इस लेख में हम भारत के संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित 'समाजवाद' (Socialism) शब्द के अर्थ को जानेंगे। प्रस्तावना में समाजवाद शब्द का उल्लेख तो किया गया है किंतु उसे स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। 'समाजवाद' शब्द को परिभाषित करने का कार्य सर्वोच्च न्यायालय ने किया है, इसलिए इस लेख में हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई इसकी व्याख्या के बारे में भी चर्चा करेंगे और साथ ही यह भी जानेंगे की कैसे भारतीय समाजवाद (Indian Socialism in Hindi) का स्वरूप विशिष्ट है।
समाजवाद क्या है? - What is Socialism in Hindi
समाजवाद एक विचारधारा/दर्शन है जिसके निम्नलिखित तत्व है -
- संपत्ति का सामाजीकरण
- समानता को महत्व देना
- मजदूर और वंचित वर्गों का कल्याण करना
- सभी प्रकार के शोषणों की समाप्ति
समाजवाद की सिद्धांतों उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप में प्राप्त करने के क्रम में जिन तरीकों या साधनों को अपनाया गया है उस आधार पर समाजवाद 2 भागों में बँट गया है-
- मार्क्सवाद या साम्यवाद
- लोकतांत्रिक समाजवाद
→ मार्क्सवाद या साम्यवादी विचारधारा का जनक 'कार्ल मार्क्स' है। मार्क्स के अनुसार समाजवाद के लक्ष्यों/आदर्शों को पाने के लिए वर्ग-संघर्ष, क्रांति और हिंसक तरीकों को अपनाना आवश्यक है।
→ वहीं लोकतांत्रिक समाजवादी विचारधारा इसके विपरीत चुनाव, संसद के कानूनों और अहिंसक तरीकों के माध्यम से समाजवाद के लक्ष्यों/आदर्शों को पाने का प्रयास करती है।
भारतीय समाजवाद - Indian Socialism in Hindi
भारतीय समाजवाद मार्क्सवाद या साम्यवाद नहीं है यह लोकतांत्रिक समाजवाद से निकटता रखता है, फिर भी भारतीय समाजवाद का स्वरूप विशिष्ट है।
सर्वोच्च न्यायालय ने D.S नकारा केस (1982) में भारतीय समाजवाद की व्याख्या करते हुए कहा है कि "भारतीय समाजवाद 'गांधीवाद' और 'मार्क्सवाद' का अनोखा मिश्रण है, जो निश्चित रूप से गांधीवाद की ओर झुका हुआ है।"
इस व्याख्या का निहितार्थ यही है कि हमारा समाजवाद आर्थिक समानता, आय के समान वितरण, वंचित वर्गों के जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा उन्हें अधिकाधिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने पर बल देता है किंतु इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वह अहिंसक और शांतिपूर्ण साधनों का प्रयोग करता है तथा निजी संपत्ति में उधमशीलता को खारिज किए बिना दोनों पक्षों में समन्वय साधने का प्रयास करता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इसके निम्नलिखित तत्व बताए हैं -
- आय की असमानता को कम करना
- जीवन स्तर की असमानता को कम करना
- मजदूर और वंचित वर्गों का कल्याण करना
- विभिन्न रूपों में शोषण को समाप्त करना
इस प्रकार भारतीय समाजवाद का मुख्य संबंध सरकार की समानतावादी नीतियों से है। संपत्ति का निजीकरण या समाजीकरण का मुद्दा भारतीय समाजवाद के केंद्र में नहीं है। भारतीय समाजवाद इस बात पर बल देता है कि सरकार की नीतियां समानता पर आधारित हो और वह मजदूर व वंचित वर्ग के पक्ष में हो, लेकिन भारतीय समाजवाद अनिवार्यतः पूंजीवाद और निजी संपत्ति का विरोधी नहीं है बल्कि भारतीय समाजवाद में सार्वजनिक संपत्ति एवं निजी संपत्ति का सहअस्तित्व संभव है।
भारतीय समाजवाद एक व्यवहारिक नीति है जिसे सरकार के समानतावादी कार्यक्रमों के रूप में देखा जा सकता है। यही भारतीय समाजवाद की विशेषता है जो इस विश्व में अनोखा बनाती है।
['समाजवाद' शब्द भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना में नहीं था यह 42वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 ई. में प्रस्तावना में शामिल किया गया है।]
अन्य महत्वपूर्ण लेख:
- भारत के संविधान की प्रस्तावना
- भारत के संविधान की अनुसूचियों की सूची
- भारतीय संविधान में भाग, अध्याय, अनुच्छेद, खंड, उपखण्ड और अनुसूची क्या हैं?
- एक राष्ट्र, एक चुनाव क्या है?
- संविधान और राजव्यवस्था से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दावलियां