दोस्तों आपने कभी ये नोटिस किया होगा की कुछ लोगों को या हो सकता है की खुद को ही छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है और वे चीखने-चिल्लाने लगते है, कभी शॉपिंग करने गए तो आवश्यकता न होने पर भी कई अनावश्यक सामान खरीद लेते है या मोबाइल पर घंटों स्क्रॉल करते रह जाते है आदि कई ऐसे काम जो नहीं करने थे लेकिन कर दिए और बाद में इसका अफ़सोस भी हुआ। इस Disorder (विकार) को 'आवेगी व्यवहार (Impulsive Behaviour)' कहते है।
इस लेख में हम आवेगी व्यवहार (Impulsive Behaviour in Hindi) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और इसको कम करने के उपायों के बारे में भी जानेंगे।
Impulsive Behaviour क्या है? - What is Impulsive Behaviour in Hindi?
एक तीव्र अनुभूति के तहत किया गया कोई भी कार्य, जिसके परिणाम का आकलन आप नहीं करते है और बाद में जिसके प्रभाव को आप मिटा नहीं सकते हैं या फिर आवेश में आकर किया गया कोई भी व्यवहार जिस पर आपका नियंत्रण नहीं होता है, इसे ही "आवेगी व्यवहार (Impulsive Behaviour)" कहते है।
जब हम ऐसी स्थिति में होते है तो हमारी तार्किक बुद्धि (logical intelligence) काम नहीं करती है। वैसे यह कोई मनोविकार नहीं है, लेकिन ऐसे व्यवहार की पुनरावर्ती खुद के लिए भी बड़ी कष्टकारी होती है।
Impulsive Behaviour के उदाहरण - Impulsive Behaviour's Examples
Impulsive Behaviour के कई उदाहरण हमें देखने को मिलते है जैसे की भावावेग में आकर किसी भी सोशल मीडिया ग्रुप को छोड़ देना या जुड़ जाना, किसी को भी अपने दोस्त की सूची से बाहर कर देना या ब्लॉक कर देना आदि। कई बार हम बिना सोचे-समझे कोई भी स्टेटस शेयर कर देते है या फिर अपने निजी जानकारियां भी साझा कर देते है और बाद में पश्चाताप करते रहते है। आवेगशील व्यवहार एक सामान्य-सी बातचीत को भी आक्रामक स्थिति में बदल सकता है।
ऑनलाइन या किसी मॉल में की गई अत्यधिक शॉपिंग भी एक आवेगी निर्णय है जो हमें बिना जरूरत के खरीदारी करने पर विवश करता है। इसमें क्षणिक खुशी मिलती है, लेकिन बाद में अफसोस भी होता है।
लगातार फिल्में देखना या पूरी रात जागकर वेबसीरीज निपटाना भी एक आवेगी व्यवहार है। किशोरों में गेमिंग की लत भी इसी के अंतर्गत आती है। इसे रोकने पर वे आक्रामक हो जाते हैं। कई बार खुद को भी चोट पहुंचाते हैं। इससे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
आवेगी व्यवहार में व्यक्ति बहुत अधीर व भावुक होता है और अक्सर यह जोखिम भरे निर्णयों को जन्म दे सकता है। आमतौर पर इस तरह के व्यवहार के बाद आपके अफ़सोसों की सूची बढ़ती जाती है और आप स्वयं को विवेकहीन और कमजोर मानने लगते है। यह स्थिति मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है।
बच्चों में Impulsive Behaviour
जिन छोटे बच्चों में Impulsive Behaviour होता है वे जोखिम भरे काम करने से पहले सोचते नहीं है, जैसे की भीड़ में अचानक दौड़ लगा देना, बहुत ज्यादा चीखना, अपने या दूसरों के सामान को फेंकना, किसी चीज को बिना पूछे उठा लेना आदि। वे मानसिक ब्रेक नहीं लगा पाते है।
Impulsive Behaviour को कैसे पहचाने? - How to Identify Impulsive Behavior
- आप किसी तरह के सकारात्मक और नकारात्मक आग्रह में अंतर नहीं कर पाते है यानि अच्छे-बुरे पर विचार नहीं करते है और बहुत जल्दी आत्मसमर्पण कर देते हैं।
- आप अक्सर संवेदना या सनसनी की तलाश में रहते हैं।
- आप योजनाबद्ध से कार्य नहीं करते है, बल्कि जो मन में आता है, करते रहते हैं। आपमें दृढ़ता की कमी है।
- आपके मन में अनुपयोगी विचारों का चक्र चलता रहता है या काफी लम्बे समय से आप भावनाओं के असंतुलन से जूझ रहे हों या किसी तरह के दवाब या तनाव में रहते हो।
Impulsive Behaviour से उबरने के उपाय - How to Control Impulsive Behaviour in Hindi
Impulsive Behaviour पर तुरंत रोक लगाना आसान नहीं है। यदि Impulsive Behaviour आपकी आदत बन गया है तो नियमित रूप से अपनी सोच और कार्यों पर गौर करने की आवश्यकता होती है। Impulsive Behaviour को कम करने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों को अपना सकते है -
1. तर्कसंगत सोच का अभ्यास करें
इस बार कर लेता हूँ या इस बार खरीद लेता हूँ, एक बार करने से क्या ही होगा, जैसे विचार आए तो तुरंत सतर्क हो जाए। आप यह जान ले की नियंत्रण की जरुरत केवल बड़े मामलों में ही नहीं होती, छोटे-छोटे मामले भी आपका आत्मविश्वास बढ़ाते है की में अपने आवेश पर काबू कर सकता हूँ।
2. कार्य करने से पूर्व उसके परिणाम पर विचार करें
कोई भी कार्य करने से पूर्व उसके अल्पकालिक और दीर्घकालिक परिणामों के बारे में अवश्य विचार करें। जाने की किन परिस्थितियों में ऐसा व्यवहार करने की संभावना अधिक होती है।
3. व्यवहार में पुनरावर्ती और अति को लेकर सतर्क रहें
आपको अपने व्यवहार में पुनरावर्ती और अति (जैसे, लगातार मोबाइल चलाना, रातभर वेबसीरीज देखना आदि) को लेकर सतर्क रहना होगा। इसके लिए आत्मनियंत्रण का अभ्यास करें और भावनात्मक एवं व्यावहारिक संतुलन बनाएं।
4. अपराधबोध की भावना से खुद को मुक्त करें
अपना आत्मविश्वास बढ़ाए तथा एकाग्रता का अभ्यास करें। पहले जो काम या गतिविधि आपने सोच रखी है, उसी पर टिके रहने का प्रयास करें। छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें।