इस लेख हम बात करने वाले हैं पर्यावरण और जैव-विविधता के संदर्भ में किये गए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास व सम्मेलनों के बारे में। इस लेख में Convention on Biological Diversity in Hindi, COP, Cartagena Biosafety Protocol in Hindi, नगोया प्रोटोकॉल और आईची लक्ष्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई हैं।
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जैव-विविधता अभिसमय क्या हैं?- Convention on Biological Diversity in Hindi - CBD
जैव-विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity - CBD) वर्ष 1992 में ब्राजील के शहर 'रियो डी जेनेरियो' में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अधिकृत प्रमुख समझौतों में से एक है। CBD पहला व्यापक वैश्विक समझौता है जिसमें जैव-विविधता से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
CBD में पक्षकार के रूप में विश्व के 196 देश शामिल है जिनमें 168 देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए है। इसमें आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होते हुए विश्व के पारिस्थितिकी आधारों को बनाए रखने हेतु प्रतिबद्धता निर्धारित की गई है। भारत 18 फरवरी 1994 को CBD का एक पक्षकार देश बना।
इस अभिसमय में राष्ट्रों के जैविक संसाधनों पर उनके संप्रभु अधिकारों की पुष्टि किए जाने के साथ 3 लक्ष्य निर्धारित किए गए -
- जैव-विविधता का संरक्षण।
- जैव-विविधता घटकों का सतत उपयोग।
- आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों में उचित और समान भागीदारी।
अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के तहत जैव-विविधता के संरक्षण हेतु अपनाए गए जैव-विविधता अभिसमय के अंतर्गत 3 चीजें आती है -
- कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल
- CBD के अंतर्गत COP-10
- आइची लक्ष्य
1. कार्टाजेना जैवसुरक्षा प्रोटोकॉल - Cartagena Biosafety Protocol in Hindi
कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल को जैव-विविधता कन्वेंशन (CBD) के तत्वाधान में अंतिम रूप दिया गया तथा इसे 29 जनवरी 2000 को अंगीकार किया गया। यह प्रोटोकॉल 11 सितंबर 2003 को लागू हुआ।
171 देश इस प्रोटोकॉल के पक्षकार है जिनमें 103 हस्ताक्षरकर्ता है। यह कन्वेंशन आधुनिक जैव तकनीकी के दो पहलुओं को मान्यता देता है -
- तकनीकी की पहुंच एवं प्रहस्तरण (Handover)
- तकनीकी प्रयोग में जैव-तकनीकी की सुरक्षा को अधिक बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रणाली का प्रयोग करना
कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का उद्देश्य
प्रोटोकॉल का मुख्य उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप ऐसे सजीव परिवर्तित जीवों (Living Modified Organism) का सुरक्षित अंतरण, प्रहस्तरण (Handover) एवं उपयोग सुनिश्चित करना है जिसका मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जैव-विविधता के संरक्षण एवं सतत उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
2. CBD के अंतर्गत COP-10 - Conference of Parties
2010 में जापान के नगोया के आइची प्रांत में COP-10 सम्मेलन का आयोजन हुआ। COP-10 के परिणामस्वरूप दो चीजें अस्तित्व में आई -- आनुवंशिक संसाधनों हेतु नगोया प्रोटोकॉल
- जैव-विविधता हेतु आइची लक्ष्य
नागोया प्रोटोकॉल - Nagoya Protocol in Hindi
जैव-विविधता अभिसमय (CBD) के तत्वाधान में वर्ष 2010 में पार्टियों के सम्मेलन (Conference of Parties-COP) की दसवीं बैठक (COP-10) में जापान के शहर नागोया में आनुवंशिक संसाधनों तक पहुँच और उनके उपयोग से होने वाले लाभों के उचित तथा न्यायसंगत बँटवारे (Access to Genetic Resources and the Fair and Equitable Sharing of Benefits Arising from their Utilization) के लिए नगोया प्रोटोकॉल अंगीकृत किया गया है। नागोया प्रोटोकॉल मुख्य रूप से (आनुवंशिक संसाधनों हेतु) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है।
भारत ने इस प्रोटोकॉल पर 11 मई 2011 को हस्ताक्षर किये और 9 अक्टूबर 2012 को इसका अनुसमर्थन किया।
नागोया प्रोटोकोल के कर्तव्य - Nagoya Protocol in Hindi
नागोया प्रोटोकॉल अनुबंध संसाधनों के लाभ साझेदारी और अनुपालन के उपयोग के लिए अपने संपर्क दलों के कोर दायित्वों को निर्धारित करता है। इसके प्रमुख कर्त्तव्य निम्नलिखित है -
- निष्पक्ष और गैर-मनमाने नियमों और प्रक्रियाओं को बनाना।
- स्पष्ट नियम और पूर्व सूचित सहमति के लिए प्रक्रियाओं एवं पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों की स्थापना करना।
- कानूनी स्पष्टता, निश्चितता और पारदर्शिता बनाना।
- आनुवंशिक संसाधनों की प्राप्ति सुनिश्चित हो जाने पर परमिट की सुनिश्चितता प्रदान करना।
- जैव-विविधता संरक्षण और सतत विकास के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना एवं प्रोत्साहन देना।
- मानव, पशु या पौधों के स्वास्थ्य पर आकस्मिक खतरे की तरफ ध्यान देना और उपचार के लिए सहयोग करना।
- खाद्य सुरक्षा और कृषि के लिए अनुवांशिक संसाधनों के महत्व पर विचार करना।
3. आइची लक्ष्य - Aichi Targets
- 18 से 29 अक्टूबर 2010 तक नागोया (जापान) के आइची प्रांत में आयोजित दलों के दसवें सम्मेलन (COP-10) में जैव-विविधता के अद्यतन रणनीतिक या सामरिक योजना को स्वीकार किया गया, जिसे 'आइची लक्ष्य' कहा जाता है।
- जैव-विविधता अभिसमय के एक भाग के रूप में लघु अवधि की रणनीतिक योजना-2020 के तहत 2011-2020 के लिये जैव-विविधता पर एक व्यापक रूपरेखा तैयार की गई। इसके अंतर्गत सभी पक्षकारों को जैव-विविधता के लिये कार्य करने हेतु एक 10 वर्षीय ढाँचा उपलब्ध कराया गया है।
- यह लघुवधि की योजना 20 महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों, जिसे सम्मिलित रूप से आईची लक्ष्य (Aichi Targets) कहते हैं, का एक समूह है।
- भारत ने 20 वैश्विक आईची जैव विविधता लक्ष्यों के अनुरूप 12 राष्ट्रीय जैव-विविधता लक्ष्य (NBT) विकसित किये है।
COP-1 से COP-25 तक की सूची
COP | Year | Place |
---|---|---|
COP-1 | 1995 | The Berlin Mandate |
COP-2 | 1996 | Geneva, Switzerland |
COP-3 | 1997 | Kyoto, Japan (क्योटो प्रोटोकॉल अपनाया गया) |
COP-4 | 1998 | Buenos Aires, Argentina |
COP-5 | 1999 | Bonn, Germany |
COP-6 | 2000 | Hague, Netherlands |
COP-6 | 2001 | Bonn, Germany |
COP-7 | 2001 | Marrakech, Morocco |
COP-8 | 2002 | New Delhi, India |
COP-9 | 2003 | Milan, Italy |
COP-10 | 2004 | Buenos Aires, Argentina |
COP 11/CMP 1 | 2005 | Montreal, Canada (क्योटो प्रोटोकॉल को 2005 में approved किया गया) |
COP 12/CMP 2 | 2006 | Nairobi, Kenya |
COP 13/CMP 3 | 2007 | Bali, Indonesia |
COP 14/CMP 4 | 2008 | Poznan, Poland |
COP 15/CMP 5 | 2009 | Copenhagen, Denmark |
COP 16/CMP 6 | 2010 | Cancun, Mexico |
COP 17/CMP 7 | 2011 | Durban, South Africa |
COP 18/CMP 8 | 2012 | Doha, Qatar |
COP 19/CMP 9 | 2013 | Warsaw, Poland |
COP 20/CMP 10 | 2014 | Lima, Peru |
COP 21/CMP 11 | 2015 | Paris, France |
COP 22/CMP 12/CMA 1 | 2016 | Marrakech, Morocco |
COP 23/CMP 13/CMA 1-2 | 2017 | Bonn, Germany |
COP 24/CMP 14/CMA 1-3 | 2018 | Katowice, Poland |
COP 25/CMP 15/CMA 2 | 2019 | Madrid, Spain |
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