जिस प्रकार स्थल का तापमान वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को प्रभावित करता हैं ठीक उसी प्रकार महासागरीय जल का तापमान (Ocean Temperature in Hindi) भी वहाँ के वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को प्रभावित करता हैं। यह तटवर्ती स्थलीय क्षेत्रों की जलवायु पर भी प्रभाव डालता है। इसलिए भूगोल में महासागरीय जल के तापमान के अध्ययन का विशेष महत्व है।
महासागरीय जल का तापमान - Ocean Temperature Distribution in Hindi
महासागरीय जल के लिए ऊष्मा का प्रमुख स्रोत 'सौर विकिरण' है। इसके अतिरिक्त भूतापीय ऊर्जा तथा जलीय दवाब से भी महासागरीय जल का तापमान निर्धारित होता है। यद्यपि इनका योगदान अत्यंत सीमित है। महासागरों का दैनिक व वार्षिक तापांतर काफी कम होता है।
- महासागरीय जल का दैनिक उच्चतम तापमान 2:00pm और न्यूनतम तापमान 5am पर रिकॉर्ड होता है।
- वार्षिक उच्चतम और न्यूनतम तापमान वाले महीने क्रमशः अगस्त और फरवरी होते हैं।
सूर्य की विकिरणों के तिरक्षेपन के कारण -
- उत्तरी गोलार्ध में उच्चतम तापमान - अगस्त
- उत्तरी गोलार्ध में न्यूनतम तापमान - फरवरी
- दक्षिणी गोलार्ध में उच्चतम तापमान - फरवरी
- दक्षिणी गोलार्ध में न्यूनतम तापमान - अगस्त
महासागरीय जल के तापमान का महत्व - Significance of Ocean Temperature
महासागरीय जल के तापमान का निम्नलिखित महत्व हैं -- महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए।
- पृथ्वी के ऊष्मा बजट में महत्व।
- जल चक्र निर्धारण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
- इसका तटीय क्षेत्र की मौसमी दशाओं पर प्रभाव पड़ता है।
- प्राथमिक पवन परिसंचरण तंत्र को प्रभावित करता है।
- महासागरीय जल की लवणता निर्धारित करता है।
- महासागरीय जल के घनत्व का निर्धारण करता है।
- महासागरीय धाराओं पर प्रभाव डालता है।
महासागरीय जल के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक - Factors Affecting the Temperature of Ocean Water
महासागरीय जल का तापमान सर्वत्र समान नहीं होता है इसमें भिन्नता पाई जाती है। महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
- अक्षांश
- जल व स्थल के वितरण में असमानता
- प्रचलित पवनें
- महासागरीय धाराएँ
- अन्य कारक
1. अक्षांश
सामान्यतः विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर चलने पर महासागरीय जल के तापमान में कमी आती है। यह कमी लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस प्रति अक्षांश होती है।2. जल व स्थल के वितरण में असमानता
उत्तरी गोलार्ध में दक्षिणी गोलार्ध की तुलना में स्थलीय भाग की अधिकता के कारण दक्षिणी गोलार्ध की अपेक्षा अधिक तापांतर पाया जाता है। समस्त महासागरों का औसत तापमान 17.2 डिग्री सेल्सियस निर्धारित किया गया है। उत्तरी गोलार्ध का औसत तापमान 19.4 डिग्री सेल्सियस जबकि दक्षिणी गोलार्ध का 16.1 डिग्री सेल्सियस निर्धारित किया गया है।
3. प्रचलित पवनें
स्थलीय भाग से घिरे सागरों का औसत तापमान अधिक होता है। व्यापारिक पवनों के प्रभाव से महासागरों के पश्चिमी भाग का जल पूर्वी भाग की तुलना में गर्म हो जाता है। जबकि पछुआ पवनों के प्रभाव में पूर्वी भाग का जल गर्म व पश्चिमी भाग का जल ठंडा हो जाता है।
4. महासागरीय धाराएँ
महासागरों के जिन भागों से गर्म जलधाराएं गुजरती है वहां तापमान बढ़ जाता है, जबकि ठंडी धाराओं के प्रभाव से तापमान में कमी आती है।5. अन्य कारक
- निम्न अक्षांशों पर अंशतः बंद महासागरीय जल का तापमान उन्हीं अक्षांशों पर खुले महासागरीय जल के तापमान से अधिक होगा जबकि उच्च अक्षांशों में स्थित बंद महासागरीय जल का तापमान उन्हीं अक्षांशों पर खुले महासागरीय जल के तापमान से कम होगा।
- मध्य महासागरीय कटक के दोनों ओर के तापमान में अंतर होता है।
- तूफान, चक्रवात, हरिकेन, वर्षा आदि स्थानीय मौसमी दशाएं महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करती है।
- अक्षांशीय दृष्टि से विस्तृत सागरों का तापमान देशांतरीय रूप में विस्तृत सागर से कम होता है।
- महासागरों का उच्चतम तापमान कर्क व मकर रेखा के समीप मिलता है क्योंकि यहां आसमान खुला रहता है तथा पर्याप्त सूर्यतप प्राप्त होता है जबकि विषुवत रेखीय क्षेत्र में बादलों तथा वर्षा के कारण महासागरीय जल के तापमान में कमी आती है।
तापमान का क्षैतिज वितरण - Horizontal Distribution of Ocean Temperature in Hindi
महासागरीय सतह के जल का तापमान प्रति अक्षांश की वृद्धि पर 0.5 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर चलने पर तापमान वितरण निम्नलिखित पाया जाता है -अक्षांश | तापमान |
---|---|
0° | 26.7℃ |
20° | 22℃ |
40° | 14℃ |
60° | 1℃ |
90° | 0℃ |
तापमान का लंबवत वितरण - Vertical Distribution of Ocean Temperature in Hindi
महासागर की तापमान के लंबवत वितरण को तापमान की 3 परतों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-(i) सबसे ऊपरी परत 0 मीटर से 500 मीटर की गहराई तक पाई जाती है जहां तापमान 20℃ से 25℃ तक होता है, इसे 'Epilimnion परत' कहते हैं।
(ii) दूसरी परत 500 मीटर से 1000 मीटर की गहराई तक पाई जाती है, जहां गहराई में वृद्धि के साथ तापमान में तीव्र कमी आती है, इसे Thermocline या Metalimnion परत कहते हैं
(iii) सबसे निचली परत 1000 मीटर से सागर नितल तक होती है जहां तापमान में गिरावट अत्यंत मंद होती है। अर्थात तापमान स्थिर हो जाता है। यह सबसे ठंडी परत होती है।
उष्ण कटिबंधों में गहराई के साथ तापमान में कमी आती है जबकि ध्रुवीय क्षेत्रों में सतह से नितल तक तापमान लगभग एक जैसा प्राप्त होता है। यद्यपि कुछ स्थानों पर गहराई के साथ पहले तापमान बढ़ता है, फिर तापमान में कमी आती है।