Marusthalikaran आज के समय की सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है और यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही हैं। आज के इस लेख में हम इसी पर्यावरणीय समस्या के बारे में बात करेंगे। इस लेख में 'मरुस्थलीकरण' से सम्बंधित सभी प्रश्नों जैसी की Marusthalikaran Kya Hai?, Marusthalikaran कैसे होता हैं?, इसके क्या प्रभाव हैं?, भारत और विश्व में इसकी क्या स्थिति हैं? और इसको रोकने के लिए वैश्विक और भारत के स्तर पर क्या प्रयास किये जा रहे हैं? आदि के जवाब आपको मिल जायेंगे।
Table of Content
- Marusthalikaran Kya Hai? - What is Desertification in Hindi
- मरुस्थलीकरण के कारण - Desertification Causes in Hindi
- मरुस्थलीकरण के प्रभाव - Desertification Effects in Hindi
- मरुस्थलीकरण को रोकने के उपाय - Desertification Solutions in Hindi
- वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण की स्थिति
- वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण रोकने के प्रयास
- भारत में मरुस्थलीकरण की स्थिति - Desertification in India
- भारत में मरुस्थलीकरण नियंत्रण के प्रयास
Marusthalikaran Kya Hai? - What is Desertification in Hindi
जब प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से शुष्क एवं अर्ध शुष्क क्षेत्रों में उपजाऊ मृदा अवक्रमित हो जाती है तथा इसकी उत्पादन क्षमता में इस स्तर तक ह्रास हो जाता है कि यह मरुस्थलतुल्य हो जाती है तो, इस परिघटना को 'मरुस्थलीकरण' (Desertification) कहते हैं।
मरुस्थलीकरण के कारण - Desertification Causes in Hindi
1. प्राकृतिक कारण
- प्राकृतिक आपदाएं तथा उनसे होने वाला मृदा क्षरण
- मृदा का बड़े पैमाने पर जल तथा पवन द्वारा अपरदन
- जलवायु परिवर्तन
- हवा द्वारा लाई गई रेत का अतिक्रमण
2. मानव जनित कारण
- अतिचराई
- वनों का काटा जाना
- कृषि की अधारणीय पद्धतियां
- सिंचाई की अधारणीय विधियां
- सतही और भूमिगत जल का अतिदोहन
- औद्योगिक गतिविधियां और उनसे उत्पन्न प्रदूषण
- खनन प्रक्रिया
- अत्यधिक जनसंख्या द्वारा संसाधनों का दोहन
- पारिस्थितिकी तथा पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?
- बायोम क्या होता है?
- मैंग्रोव वन: महत्व, विशेषताएँ, प्रकार, क्षय के कारण और संरक्षण के उपाय
- जैव-विविधता Hotspot क्या होता है?
मरुस्थलीकरण के प्रभाव - Desertification Effects in Hindi
पर्यावरणीय प्रभाव
- वानस्पतिक आवरण में कमी
- मृदा अवक्रमण
- भूमि निम्नीकरण
- जल प्रदूषण
- जैव-विविधता तथा बड़े पैमाने पर प्रजातियों का विलुप्त होना
- पारिस्थितिकी सेवाओं का बाधित होना
आर्थिक प्रभाव
- कृषि उत्पादकता में कमी
- संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव
- प्राकृतिक जोखिम के बढ़ने से आर्थिक क्रियाओं में बाधा
- निर्धनता में वृद्धि
सामाजिक व राजनीतिक प्रभाव
- सामाजिक भेदभाव में वृद्धि
- सामाजिक संघर्षों में वृद्धि
- खाद्य सुरक्षा चुनौती
- पर्यावरण या जलवायु प्रवसन
- राजनीतिक अस्थिरता
मरुस्थलीकरण को रोकने के उपाय - Desertification Solutions in Hindi
- पशु चराई की धारणीय और नियंत्रित वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग
- वनीकरण तथा पुनर्वनीकरण
- बंजर भूमि का पुनरुद्धार
- कृषि की धारणीय पद्धतियों का उपयोग
- सिंचाई की जल मितव्ययी पद्धतियों का प्रयोग
- जल संरक्षण और जल के बेहतर तरीके से उपयोग पर बल
- अवैध खनन जैसी गतिविधियों पर रोक
- जन जागरूकता द्वारा मरुस्थलीकरण की रोकथाम के प्रयास
वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण की स्थिति
वैश्विक स्तर पर शुष्क भूमि कुल भू-भाग का 34% है तथा यह भूमि खाद सुरक्षा विशेष रूप से निर्धन समूहों के लिए मुख्य स्रोत है। मरुस्थलीकरण और सूखे के कारण प्रतिवर्ष 12 मिलियन हेक्टेयर भूमि बंजर हो जाती है, इससे 20 मिलियन लोगों के लिए अनाज उत्पादकता में कमी होती है।
ऐसा अनुमान है कि लगभग 135 मिलियन लोग आज मरुस्थलीकरण के कारण प्रवासन (migration) के खतरे का सामना कर रहे हैं। 2050 तक 200 मिलियन लोग स्थाई रूप से जलवायु प्रवासी हो चुके होंगे।
वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण रोकने के प्रयास
भारत में मरुस्थलीकरण की स्थिति - Desertification in India
भारत में भू-क्षरण का दायरा लगभग 96.40 मिलीयन हेक्टेयर है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 29.30% है। 70% भौगोलिक क्षेत्र शुष्क भूमि के रूप में है जिसमें से 30% भू-क्षरण तथा 25% मरुस्थलीकरण से ग्रस्त है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत ने एक दशक में 31% या 5.65 मिलियन हेक्टेयर घास क्षेत्र को खो दिया है।
भारत में मरुस्थलीकरण नियंत्रण के प्रयास
1. एकीकृत जलग्रहण या जल संभर प्रबंधन कार्यक्रम
एकीकृत जलग्रहण या जल संभर प्रबंधन कार्यक्रम 1989-90 में लाया गया था। 2003 में इसे 'हरियाली दिशा-निर्देश' के रूप में लागू किया गया। वर्तमान में यह प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अधीन रखा गया है जिसे नीति आयोग द्वारा क्रियान्वयन किया जा रहा है।
एकीकृत जल संभर प्रबंधन कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण तथा उनका विकास करके पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है।
3. सन 2000 में राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम लाया गया।
4. नदी घाटी परियोजनाएं और बाढ़ प्रवण नदियों से मृदा का संरक्षण
5. National Action Programme to Combat Desertification, 2001
6. चारा और चारा विकास योजना, 2010
7. ग्रीन इंडिया पर राष्ट्रीय मिशन, 2014