इस लेख हम बात करने वाले है पर्यावरण व पारिस्थितिकी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय 'आर्द्र भूमि/रामसर स्थल (Wetland In Hindi) के बारे में। इस लेख में आर्द्रभूमि क्या है?, आर्द्रभूमि कितने प्रकार की होती है?, आर्द्रभूमियों का महत्व, वितरण, आर्द्रभूमियों को खतरा व इनके संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदम तथा भारत में आर्द्रभूमियों का वितरण (Ramsar Sites In India In Hindi) के बारे में पूरे विस्तार से जानकारी दी गई है।
- आर्द्रभूमि क्या होती है? - Wetland In Hindi
- आर्द्रभूमियों के प्रकार - Types Of Wetland In Hindi
- कच्छ भूमि किसे कहते है?
- आर्द्रभूमियों का महत्व - Importance of Wetlands In Hindi
- भारत में आर्द्रभूमियों का वितरण - Ramsar Sites In India
- आर्द्रभूमियों के नष्ट होने के कारण
- आर्द्रभूमियों का संरक्षण - Conservation of Wetlands In Hindi
- रामसर सम्मेलन/अभिसमय - Ramsar Convention In Hindi
- मोंट्रेक्स रिकॉर्ड क्या है? - Montreux Record In Hindi
- वेटलैंड इंटरनेशनल - Wetlands International In Hindi
- आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयास
आर्द्रभूमि क्या होती है? - Wetland In Hindi
आर्द्रभूमि स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के मध्य संक्रमण क्षेत्र होते हैं, जो वर्ष भर या वर्ष के अधिकांश समय छिछले जल से युक्त होती है। यह भू-क्षेत्र स्थायी या मौसम के अनुसार जल से भरता है अतः यह एक विशिष्ट प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करता है।
आर्द्रभूमियों से संबंधित रामसर अभिसमय (Ramsar Convention) के अंतर्गत अनुच्छेद 1.1 और 2.1 के अनुसार आर्द्रभूमियों को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया गया है -
"दलदल (marsh), पंक भूमि (fen), पीट भूमि या जल, कृत्रिम या प्राकृतिक, स्थायी या अस्थायी, स्थिर या गतिमान जल, ताजा, खारा व लवणयुक्त जल क्षेत्रों को आर्द्रभूमि कहते हैं"।
आर्द्रभूमियों के प्रकार - Types Of Wetland In Hindi
रामसर सम्मेलन के अनुसार आर्द्रभूमियों को निम्नलिखित तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित किया गया है -- समुद्री या तटीय आर्द्रभूमि
- अंतःस्थलीय आर्द्रभूमि
- मानव निर्मित आर्द्रभूमि
1. समुद्री या तटीय आर्द्रभूमि - Marine/Coastal Wetlands In Hindi
- स्थायी उथले समुद्री जल जैसे खाड़ी, व जलसंधियां
- समुद्री उपज्वार जलीय सतह
- प्रवाल भित्तियां
- पथरीला समुद्री तट
- बालू गोटिया, कंकड़ तट
- लैगून
- मैंग्रोव
2. अंतःस्थलीय आर्द्रभूमि या अंतर्देशीय - Inland Wetlands In Hindi
- झील
- तालाब
- डेल्टा
- स्ट्रीम या क्रीक
- अनूप या कच्छ भूमियां
- स्वच्छ पानी स्प्रिंग
3. मानव निर्मित आर्द्रभूमियां - Man Made Wetland In Hindi
- एक्वाकल्चर
- तालाब, छोटे टैंक
- सिंचित कृषि भूमि
- कैनाल
- अपशिष्ट पानी निवारक क्षेत्र
कच्छ भूमि किसे कहते है?
कच्छ भूमि एक ऐसी आर्द्रभूमि होती है जो धाराओं और झीलों के किनारे पाई जाती है। इनमें घास या बेंत बड़ी मात्रा में उगते हैं। यहाँ काष्ठीय पौधे बहुत कम पाए जाते है और ये काष्ठीय पौधे भी झाड़ियों के रूप में पाए जाते है। अतः यहाँ काष्ठीय पौधों की अपेक्षा घास कहीं अधिक पाई जाती है।
आर्द्रभूमियों का महत्व - Importance of Wetlands In Hindi
विश्व में केवल 6% भूमि पर आर्द्रभूमियों का विस्तार है। इसके बावजूद जैव-विविधता तथा विभिन्न पारिस्थितिकी सेवाओं में इनकी अतिमहत्वपूर्ण भूमिका होती है। आर्द्रभूमियों के प्रमुख लाभ निम्नलिखित है -
- मत्स्य या मत्स्य पालन
- बाढ़ नियंत्रण
- सूखा नियंत्रण
- भौमजल पुनर्भरण
- तटरेखा स्थिरीकरण और चक्रवात संरक्षण
- पोषक तत्वों का भंडारण
- खाद्य जाल के रूप में महत्व
- जल का शुद्धिकरण
- जैव-विविधता का भंडारण
- आर्द्रभूमियों से इमारत बनाने व ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त होती हैं
- जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और अनुकूलन
- सांस्कृतिक मूल्य तथा पर्यटन
भारत में आर्द्रभूमियों का वितरण - Ramsar Sites In India In Hindi
भारत में वर्तमान में रामसर आर्द्रभूमि के रूप में 75 आर्द्रभूमियां चिह्नित है। ये भारत के भौगोलिक क्षेत्रफल के लगभग 7% भाग पर विस्तृत है, जिसमें अंतःस्थलीय आर्द्रभूमियां लगभग 69% क्षेत्र में पाई जाती है, तटीय आर्द्रभूमियां 27% क्षेत्रफल पर तथा अन्य आर्द्रभूमियों का विस्तार 4% भाग पर है।
प्रत्येक प्रकार की आर्द्रभूमियों के औसत क्षेत्र के संबंध में प्राकृतिक आर्द्रभूमियां सर्वाधिक विशाल क्षेत्र में विस्तारित है। भौगोलिक क्षेत्रफल के अनुपात के संबंध में गुजरात में सर्वाधिक (17.5%) और मिजोरम (0.66%) में सबसे कम क्षेत्र आर्द्रभूमियों के अंतर्गत आता है। वहीं संघ शासित क्षेत्रों में लक्ष्यद्वीप में सर्वाधिक और चंडीगढ़ में न्यूनतम क्षेत्र में आर्द्रभूमियां है।
List of Ramsar sites in India
रामसर साइट | राज्य / केंद्र शासित प्रदेश | घोषित वर्ष |
---|---|---|
1. चिल्का झील | ओडिशा | 1981 |
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान | राजस्थान | 1981 |
3. लोकटक झील | मणिपुर | 1990 |
4. वुलर झील | जम्मू-कश्मीर | 1990 |
5. हरिके झील | पंजाब | 1990 |
6. सांभर झील | राजस्थान | 1990 |
7. कंजली झील | पंजाब | 2002 |
8. रोपड़ आर्द्रभूमि | पंजाब | 2002 |
9. कोलेरु झील | आंध्र प्रदेश | 2002 |
10. दीपोर झील | असम | 2002 |
11. पोंग बांध झील | हिमाचल प्रदेश | 2002 |
12. त्सो मोरीरी झील | लद्दाख | 2002 |
13. अष्टमुडी झील | केरल | 2002 |
14. सस्थमकोट्टा झील | केरल | 2002 |
15. वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि क्षेत्र | केरल | 2002 |
16. भोज आर्द्रभूमि | मध्य प्रदेश | 2002 |
17. भितरकनिका मैंग्रोव | उड़ीसा | 2002 |
18.प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2002 |
19. पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि | पश्चिम बंगाल | 2002 |
20. चंदेरटल आर्द्रभूमि | हिमाचल प्रदेश | 2005 |
21. रेणुका आर्द्रभूमि | हिमाचल प्रदेश | 2005 |
22. होकेरा आर्द्रभूमि | जम्मू और कश्मीर | 2005 |
23. सुरिंसर और मानसर झील | जम्मू और कश्मीर | 2005 |
24. रुद्रसागर झील | त्रिपुरा | 2005 |
25. ऊपरी गंगा नदी | उत्तर प्रदेश | 2005 |
26. नालसरोवर पक्षी अभयारण्य | गुजरात | 2012 |
27. सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र | पश्चिम बंगाल | 2019 |
28. नंदुर मध्यमेश्वर | महाराष्ट्र | 2019 |
29. केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व | पंजाब | 2019 |
30. नांगल वन्यजीव अभयारण्य | पंजाब | 2019 |
31. व्यास संरक्षण रिजर्व | पंजाब | 2019 |
32. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
33. साण्डी पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
34. समसपुर पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
35. समन पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
36. पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 2019 |
37. सरसई नावर झील | उत्तर प्रदेश | 2020 |
38. आसन कंजर्वेशन रिजर्व | उत्तराखंड | 2020 |
39. काबर ताल झील | बिहार | 2020 |
40. लोनार झील | महाराष्ट्र | 2020 |
41. सुर सरोवर झील | उत्तर प्रदेश | 2020 |
42. त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र | लद्दाख | 2020 |
43. वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्र | गुजरात | 2021 |
44. थोल झील वन्यजीव अभ्यारण्य | गुजरात | 2021 |
45. सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान | हरियाणा | 2021 |
46. भिंड़ावास वन्यजीव अभ्यारण्य | हरियाणा | 2021 |
47. हैदरपुर वेटलैंड | उत्तर प्रदेश | 2021 |
48. बखीरा वन्यजीव अभ्यारण | उत्तर प्रदेश | 2022 |
49. खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य | गुजरात | 2022 |
50. करिकिली पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
51. पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट | तमिलनाडु | 2022 |
52. पिचवरम मैंग्रोव | तमिलनाडु | 2022 |
53. पाला आर्द्रभूमि | मिजोरम | 2022 |
54. साख्य सागर | मध्यप्रदेश | 2022 |
55. कुनथनकुलम पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
56. मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व | तमिलनाडु | 2022 |
57. उदयमार्थदपुरम पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
58. वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
59. वेलोड पक्षी अभयारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
60. वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स | तमिलनाडु | 2022 |
61. सतकोसिया गॉर्ज | ओडिशा | 2022 |
62. नंदा झील | गोवा | 2022 |
63. रंगनाथितु वी एस | कर्नाटक | 2022 |
64. शिरपुर आर्द्रभूमि | मध्यप्रदेश | 2022 |
65.टंपारा झील | ओडिशा | 2022 |
66. हीराकुंड रिजर्व | ओडिशा | 2022 |
67. अनसुपा झील | ओडिशा | 2022 |
68. यशवंत सागर | मध्य प्रदेश | 2022 |
69. चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
70. सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स | तमिलनाडु | 2022 |
71. वडुवुर पक्षी अभ्यारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
72. कांजीरंकुलम पक्षी अभ्यारण्य | तमिलनाडु | 2022 |
73. ठाणे क्रीक | महाराष्ट्र | 2022 |
74. हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व | जम्मू और कश्मीर | 2022 |
75. शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व | जम्मू और कश्मीर | 2022 |
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आर्द्रभूमियों के नष्ट होने के कारण
आर्द्रभूमियों को निम्नलिखित गतिविधियों से नष्ट होने का खतरा बना रहता है -1. प्राकृतिक कारण - Natural Causes
- समुद्र जल स्तर का बढ़ना
- सूखा
- चक्रवात
- मृदा अपरदन
2. मानवजनित कारण - Anthropogenic Causes
- वनोन्मूलन
- कृषि
- मच्छर नियंत्रण हेतु जल निकासी
- नौ-परिवहन हेतु तलकर्षण
- ठोस अपशिष्ट पदार्थों द्वारा आर्द्रभूमियों को भर दिया जाना
- औद्योगिक इकाइयों की स्थापना में इनका नष्ट होना
- अधारणीय मत्स्यन
- घरेलू और औद्योगिक प्रदूषकों का विसर्जन
- भू-जल निकासी
- बांधो तथा गहरे चैनलों द्वारा तलछट का परिवर्तन
- खनन गतिविधियों द्वारा आर्द्रभूमियों के स्वरूप में होने वाला परिवर्तन
- बाढ़ नियंत्रण के लिए होने वाला तटबंधों का निर्माण
- अधारणीय पर्यटन गतिविधियां
- जलवायु परिवर्तन
आर्द्रभूमियों का संरक्षण - Conservation of Wetlands In Hindi
रामसर सम्मेलन/अभिसमय - Ramsar Convention In Hindi
आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु सन 1971 में ईरान के रामसर में एक सम्मेलन आयोजित किया गया जहां रामसर संधि/अभिसमय अस्तित्व में आई। यह एक अंतर्सरकारी और बहुउद्देशीय संधि है। यह संधि आर्द्रभूमियों और उनके संसाधनों के संरक्षण तथा बुद्धिमत्ता से उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्य और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का ढांचा उपलब्ध करती है। यह विशेष पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु पहली वैश्विक पर्यावरणीय संधि है।
रामसर संधि के पक्षकार देशों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है -
- अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की सूची में शामिल किए जाने हेतु आर्द्रभूमियों को चिह्नित करना
- जहां तक संभव हो आर्द्रभूमियों के क्षेत्र का विवेकपूर्ण व धारणीय उपयोग किया जाए
- अंतर्राष्ट्रीय आर्द्रभूमियों के संबंध में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
- आर्द्रभूमि आरक्षित क्षेत्र का निर्माण करना
कुछ प्रमुख तथ्य
- वर्तमान में रामसर सम्मलेन के 170 पक्षकार देश है।
- United Kingdom में सर्वाधिक आर्द्रभूमियां है जबकि क्षेत्रफल के आधार पर बोलीविया का प्रथम स्थान है।
- सबसे बड़ी आर्द्रभूमियों में अमेजन बेसिन, पश्चिमी साइबेरिया मैदान और दक्षिणी अमेरिका की पैंटानल आर्द्रभूमि शामिल है।
- 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। यह पहली बार 1997 में मनाया गया था।
मोंट्रेक्स रिकॉर्ड क्या है? - Montreux Record In Hindi
वेटलैंड इंटरनेशनल - Wetlands International In Hindi
यह एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन है। इसका उद्देश्य लोगों और जैव-विविधता के लिए आर्द्रभूमि और उसके संसाधनों का संरक्षण व नवीनीकरण करना है। यह एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी तथा सरकारों द्वारा समर्थित वैश्विक स्तर पर NGO (Non-governmental organization) के रूप में स्थापित है।
वेटलैंड इंटरनेशनल द्वारा मध्य एशियाई फ्लाई-वे (Central Asian Flyway) पर महत्वपूर्ण कार्य किया गया है। यह फ्लाई-वे मध्य एशिया के क्षेत्रों को शामिल करता है, जहां से प्रवासी पक्षी गुजरते हैं। इसे मध्य एशियाई-भारतीय फ्लाई-वे भी कहा जाता है।
आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयास
रामसर अभिसमय 1975 में लागू हुआ तथा भारत 1 फरवरी 1982 में इसका एक पक्षकार बना। भारत में आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए विविध उपाय किए हैं। यद्यपि भारत में आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु कोई अलग कानूनी प्रावधान नहीं है किन्तु निम्नलिखित प्रमुख कानून और अधिनियम अप्रत्यक्ष रूप से इससे संबंधित है -
- भारतीय मत्स्यन अधिनियम, 1857
- भारतीय वन अधिनियम, 1927
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
- जल प्रदूषण संरक्षण अधिनियम, 1974-1977
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
- तटीय क्षेत्र विनियमन अधिसूचना, 1991