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संघनन किसे कहते है? इसके प्रकार और रुद्धोष्म ताप पतन दर | Sanghanan Kya Hai

इस लेख में Sanghanan Kya Hai? इसके प्रकार, इसकी प्रक्रिया और रुद्धोष्म ताप पतन दर के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। 

Sanghanan Kya Hai

Sanghanan Kya Hai? - Condensation In Hindi 

जलवाष्प के द्रव में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं। 

दूसरे शब्दों में कहें तो "यदि किसी वायु को उसके ओसांक (Dew Point) से और अधिक ठंडा किया जाता है तब वह अपने भीतर की अतिरिक्त जलवाष्प को जल की बूंदों के रूप में निष्कासित कर देती है यह प्रक्रिया संघनन (Condensation) कहलाती है"। 


संघनन की प्रक्रिया - Condensation Process In Hindi

रुद्धोष्म ताप पतन दर - Adiabatic Lapse Rate (ALR)

जब कोई वायु ऊपर की ओर उठती है तब यह फैलकर ठंडी होने लगती है, इस प्रक्रिया में वायु जिस दर से ठंडी होती है, उसे 'रुद्धोष्म ताप पतन दर' कहते है। 

Condensation In Hindi


रुद्धोष्म तप पतन दर 2 प्रकार की होती है -

A. शुष्क रुद्धोष्म ताप पतन दर - Dry Adiabatic Lapse Rate (DALR)

जब कोई आर्द्र व असंतृप्त वायु आरोहित होती है तब प्राप्त होने वाली रुद्धोष्म ताप पतन दर, "शुष्क रुद्धोष्म ताप पतन दर" कहलाती है। इसका मान 10℃/1000 m 

  • कोई भी वायु तभी तक ऊपर उठती है जब तक उसका तापमान अपने आस-पास की वायु से अधिक होता है। 


B. आर्द्र रुद्धोष्म ताप पतन दर - Wet Adiabatic Lapse Rate (WALR)

ऊपर उठती वायु अंततः एक ऐसी ऊँचाई पर पहुँच जाती है जहाँ यह अपने ओसांक को प्राप्त कर संतृप्त हो जाती है। संतृप्त अवस्था के उपरांत वायु संघनित होती है तथा गुप्त ऊष्मा का परित्याग करती है। गुप्त ऊष्मा के कारण संघनित वायु पुनः गर्म होकर आरोहित होती है, किन्तु अब आरोहण की प्रक्रिया में रुद्धोष्म ताप पतन दर का मान 6℃/1000 m होता है, इसे "आर्द्र रुद्धोष्म ताप पतन दर" कहते है। 


जब आरोहित होती वायु रुद्धोष्म शीतलन के अंतर्गत ऐसी ऊँचाई पर पहुँच जाती है जहाँ इसका तापमान अपने अगल-बगल की वायु के तापमान से कम हो जाता है तब यह वायु भारी होने के कारण नीचे उतरने लगती है। नीचे उतरती हुई वायु सिकुड़ती है अतः यह गर्म होने लगती है। इससे सापेक्षिक आर्द्रता में कमी आती है तथा वायु के असंतृप्त हो जाने से संघनन और वर्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।  


संघनन के प्रकार - Types Of Condensation In Hindi

संघनन के निम्नलिखित प्रकार होते हैं -
  1. ओस - Dew 
  2. पाला - Frost 
  3. कोहरा - Fog 
  4. कुहाँसा - Mist 
  5. धु़आँसा - Smog 

ओस व पाला - Dew and Frost  

ओस व पाला निर्माण के लिए निम्नलिखित दशाएं आवश्यक होती है -
  • शीतकालीन लंबी रातें 
  • मेघरहित आकाश 
  • शांत वायुमंडल 
  • उच्च सापेक्षिक आर्द्रता वाली वायु 
  • तापमान हिमांक से अधिक 

उपरोक्त दशाओं में सतह रात्रि में, दिन में अवशोषित सौर विकिरण का शीघ्रता से परित्याग कर ठंडी हो जाती है। सतह से सटी वायु चालान विधि द्वारा ठंडी होने लगती है तथा अपने ओसांक को प्राप्त कर संतृप्तावस्था के उपरांत संघनित होती है। इसमें उपस्थित जलवाष्प जल की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में घास तथा वनस्पतियों आदि की सतह पर बैठ जाती है। जल की इन्हीं छोटी-छोटी बूंदों को 'ओस' कहा जाता है।   



  • यदि संघनन हिमांक या हिमांक से कम तापमान पर होता है तब जल की बूंदों की जगह बर्फ के कण प्राप्त होते है, इसे ही पाला/तुषार कहा जाता है।  



कोहरा, कुहाँसा और धु़आँसा- Fog, Mist and Smog

जब सतह से कुछ ऊँचाई तक की वायु की परत ठंडी होकर ओसांक को प्राप्त कर लेती है तथा संतृप्तावस्था के उपरांत संघनन की क्रिया में जल की महीन बूंदें वायुमंडल में उपस्थित निलंबित कणिकीय पदार्थों पर बैठकर धुंए जैसे तंत्र का निर्माण करती है और यदि दृश्यता 1 km से कम रहती है तब यह कोहरा कहलाता है। 

  • कोहरे को "धरती का बादल" भी कहते है। 


  • जब दृश्यता 1 km से अधिक बनी रहती है तब इसे, कुंहासा (Mist) कहते है। कुंहासे में जल की बुँदे, कोहरे की बूंदों की अपेक्षा महीन होती हैं। 


  • जब कभी कोहरा वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में निर्मित होता है तब इसमें कई प्रदूषकों के मिल जाने से यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, तब इसे धुआँसा (Smog) कहते हैं।     


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