इस लेख में आज के समय की एक बहुत ही बड़ी पर्यावरणीय समस्या 'प्रदूषण' (Pollution In Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई हैं। इस लेख में हम जानेंगे पर्यावरण निम्नीकरण तथा पर्यावरणीय Pradushan Kya Hai? हमने Pradushan से सम्बंधित लगभग सभी पक्षों को इसमें शामिल किया हैं। इस लेख को पढ़ने के बाद आपको Pradushan Kya Hai (Pollution In Hindi) के बारे में पूरी जानकारी हो जाएगी।
Pradushan Kya Hai |
Table Of Content:
पर्यावरण निम्नीकरण क्या हैं? - Environment Degradation In Hindi
पर्यावरण निम्नीकरण का अर्थ है, मनुष्य के क्रियाकलापों द्वारा पर्यावरण के संघटकों की आधारभूत संरचना में पड़ने वाले प्रतिकूल परिवर्तनों के कारण पर्यावरण की गुणवत्ता में होने वाला ह्रास, जिससे जैविक समुदाय तथा स्वयं मानव समाज पर गहरा एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है।
पर्यावरण निम्नीकरण के कारण पारिस्थितिकी तंत्र एवं उसकी जैव विविधता में कमी होने लगती है, जिसके कारण पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण असंतुलन उत्पन्न हो जाता है। औद्योगीकरण, नगरीकरण तथा संसाधनों के अंधाधुंध विदोहन के कारण प्राकृतिक पर्यावरण का विश्व स्तर पर अत्यधिक निम्नीकरण हुआ हैं।
पर्यावरण निम्नीकरण के कारण - Environment Degradation Causes In Hindi
पर्यावरण निम्नीकरण का सबसे प्रमुख कारण 'मानवीय क्रियाकलाप' हैं। इन क्रियाकलापों ने मानव व पर्यावरण के मध्य के संबंधों को तीव्र गति से बिगाड़ा हैं। विकास की तीव्र प्रक्रिया, संसाधनों का अनियोजित तरीके से दोहन, औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के कारण प्राकृतिक पर्यावरण एवं उसके पारिस्थितिकीय स्वरूप पर दूरगामी एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहे हैं। पर्यावरण निम्नीकरण व पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ाने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
- जनसंख्या में तीव्र वृद्धि
- औद्योगीकरण व नगरीकरण
- आधुनिक कृषि विकास में तीव्र वृद्धि
- प्राकृतिक संसाधनों का अविवेकपूर्ण विदोहन
- लोगों के सामाजिक, दार्शनिक एवं धार्मिक विचार
- लोगों में जागरूकता का अभाव
पर्यावरण निम्नीकरण के प्रभाव - Environment Degradation Effects
- प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि
- मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव
- जैव-विविधता का अभाव
- वैश्विक तापमान में वृद्धि
Pradushan Kya Hai? - What is Pollution in Hindi
पर्यावरण में होने वाला वह अवांछनीय परिवर्तन जो जीवों को दुष्प्रभावित करता हैं, प्रदूषण (Pollution) कहलाता हैं।
राष्ट्रीय प्रदूषण शोध समिति के अनुसार "वायु, जल तथा मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में होने वाला वह अवांछनीय परिवर्तन जिससे मनुष्य एवं अन्य जीवों को क्षति पहुँचती हो या क्षति पहुंचने की संभावना हो, प्रदूषण कहलाता हैं"।
प्रदूषण हमारे परिवेश में उन परिवर्तनों का परिणाम है, जो पौधों, प्राणियों और मनुष्यों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। मानव के स्वास्थ्य पर किसी प्रदूषण के घातक प्रभावों का निर्धारण उनकी प्रकृति व मात्रा से होता है।
प्रदूषक क्या हैं? - What Is Pollutants
वे सभी घटक जो प्रदूषण उत्पन्न करते हैं, प्रदूषक (Pollutants) कहलाते हैं।
प्रदूषक के प्रकार - Types Of Pollutants
प्रदूषक निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -1. निस्तारण की पद्धति के आधार पर
- जैविक प्रदूषक
- अजैविक प्रदूषक
जैविक प्रदूषकों में जीव तथा जीवों के अंश शामिल होते हैं। जबकि अजैविक स्वरूप में द्रव्य एवं ऊर्जा का कोई रूप शामिल हो सकता हैं जैसे की प्लास्टिक और भारी धातु।
2. उत्पत्ति के आधार पर
- प्राकृतिक प्रदूषक
- मानवजनित प्रदूषक
ज्वालामुखी उद्गार, चक्रवात, बाढ़, जंगल की आग आदि द्वारा उत्पन्न प्रदूषक 'प्राकृतिक प्रदूषक' कहलाते हैं। जबकि वे सभी प्रदूषक जो मानवीय गतिविधियों का परिणाम होते हैं, वे 'मानवजनित प्रदूषक' कहलाते हैं।
3. अवस्था के आधार पर
- ठोस प्रदूषक - धूलकण, परागकण, Black Carbon, भारी धातुएँ आदि
- तरल प्रदूषक - यूरिया, नाइट्रेटयुक्त जल आदि
- गैसीय प्रदूषक - SO₂, NO₂ , CO₂ आदि
4. स्वरूप के आधार पर
वे प्रदूषक जो अपने मूल स्वरूप में ही प्रदूषण फ़ैलाने में सक्षम होते हैं, प्राथमिक प्रदूषक कहलाते हैं। जैसे प्लास्टिक, DDT (Dichloro-diphenyl-trichloroethane), कार्बन मोनोऑक्साइड आदि।
जब प्राथमिक प्रदूषक अंतर्क्रिया करते हैं तब नए प्रदूषक का निर्माण होता हैं, उसे 'द्वितीयक प्रदूषक' कहते है। जैसे ओजोन, PAN (Peroxyacetyl nitrate) आदि
प्रदूषण के प्रकार – Types of Pollution in Hindi
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- मृदा/भूमि प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- तापीय प्रदूषण
- रेडियोएक्टिव प्रदूषण
1. वायु प्रदूषण क्या है? – What is Air Pollution in Hindi
वह स्थिति जब वायु में प्राकृतिक अथवा मानवजनित कारणों से वायु के प्राकृतिक संघटन में अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है, जो मानव तथा अन्य जीवों के प्रतिकूल होता है, उसे 'वायु प्रदूषण' कहते हैं तथा इसके लिए उत्तरदायी पदार्थ 'वायु प्रदूषक' कहलाते हैं।
Vayu Pradushan Ke Karan/स्रोत
वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोतों के अंतर्गत प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, ज्वालामुखी आदि से निकले पदार्थ जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं को शामिल किया जाता हैं।
इसके अंतर्गत परिवहन के साधनों से निकलने वाला धुआँ, कोयले के दहन से निकली Flay ash, पेट्रोलियम रिफाइनरी से निकलने वाली SO₂, NO₂ आदि को शामिल किया जाता हैं।
वायु प्रदूषक | स्रोत |
---|---|
नाइट्रोजन के ऑक्साइड | तापशक्ति गृह, कृषि क्षेत्र, उद्योग |
कार्बन मोनोऑक्साइड तथा कार्बन डाईऑक्साइड | कृषि कार्य, स्वचालित वाहन, जीवाश्मीय ईंधन |
मीथेन (CH₄) | दलदल तथा धान के खेत, मवेशी, दीमक, जैव-भार का जलना |
सल्फर के यौगिक (SO₂, H₂SO₄) | कोयला, ज्वालामुखी, औद्योगिक इकाइयां |
हाइड्रोकार्बन | स्वचालित वाहन, उद्योग |
ओजोन (O₃) | मानवीय गतिविधियों के कारण प्रकाश रासायनिक क्रिया द्वारा द्वितीयक प्रदूषक के रूप में |
निलंबित कणिकीय पदार्थ | औद्योगिक इकाइयों, स्टोन क्रेसर, जीवाश्म ईंधन, चक्रवात, तापीयशक्ति गृह |
वायु प्रदूषण के प्रभाव
- कार्बन मोनोऑक्साइड श्वसन द्वारा मानव शरीर में प्रवेश करती है तथा इसमें ऑक्सीजन की तुलना में 200 गुना ज्यादा हीमोग्लोबिन से जुड़ने की क्षमता होती है। यह रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन से क्रिया कर 'कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन' का निर्माण करती है, जिससे रुधिर कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता में कमी आती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती हैं और 'हाइपोक्सिया' की समस्या उत्पन्न होती है और अधिक समय तक यह स्थिति रहने पर 'सेरेब्रल एनोक्सिया' हो जाता है जो अंततः जीव की मृत्यु का कारण बनता है।
- कार्बन मोनोऑक्साइड के प्रभाव में पौधों की पत्तियां समय से पहले गिर जाती है। यह पौधों के विकास को भी अवरुद्ध कर देती है।
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड के प्रभाव में आंखों में जलन और श्वसन संबंधी रोग होते हैं।
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड पौधों में पर्णहरित (chlorophyll) की कमी कर देती है, जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है।
- सल्फर डाइऑक्साइड वायुमंडल में जल के साथ क्रिया कर अम्लवर्षा के रूप में बरसती हैं और प्राणियों में चर्म रोग और पौधों में हरिमाहीनता (Chlorosis) का कारण बनती है।
- वायुमंडल में उपस्थित परागकण, जीवाणु, कवक आदि मानव में एलर्जी और ब्रोन्कियल अस्थमा उत्पन्न करते हैं।
- सीमेंट फैक्ट्री से निकलने वाली Dust में कैल्शियम सिलीकेट और कैल्शियम एलुमिनेट होता है। जब यह परत के रूप में पौधों की पत्तियों पर एकत्रित होते हैं तब यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को दुष्प्रभावित कर देते हैं।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय
- सड़कों और घरों के किनारों पर वृक्षारोपण द्वारा ग्रीनबेल्ट का विकास।
- उद्योगों की चिमनियों की ऊंचाई में वृद्धि कर देनी चाहिए।
- प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को आवासीय क्षेत्रों से बाहर लगाना चाहिए।
- हरित ईंधन के प्रयोग पर बल
- प्रदूषण प्रभावी क्षेत्रों जैसे सीमेंट फैक्ट्री, औद्योगिक इकाई के आस-पास चौड़ी पत्तियों वाले वृक्षों का रोपण करना चाहिए।
- सामान्य जन में जागरूकता फैलाने का प्रयास तथा जनसहयोग द्वारा वायु प्रदूषण को न्यूनतम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।
वायु गुणवत्ता सूचकांक
भारत सरकार द्वारा 17 सितंबर 2014 को 'स्वच्छ भारत अभियान' के अंतर्गत 'राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक' लाया गया। इस सूचकांक का विकास IIT कानपुर के साथ मिलकर किया गया हैं। राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के अंतर्गत निम्नलिखित 8 प्रदूषकों को शामिल किया गया हैं -
PM 10 |
PM 2.5 |
NO₂ |
SO₂ |
कार्बन मोनोऑक्साइड |
ओजोन |
अमोनिया |
सीसा (Pb) |
रंग | वायु की गुणवत्ता |
---|---|
चटक हरा | अच्छी वायु |
हल्का हरा | संतोषजनक |
पीला रंग | मध्यमस्तरी वायु |
नारंगी रंग | निम्नस्तरी वायु |
चटक लाल रंग | अत्यधिक निम्नस्तरी वायु |
गहरा भूरा रंग | अति निम्नस्तरी वायु |
2. जल प्रदूषण क्या है? – What is Water Pollution in Hindi
जल की गुणवत्ता में हुआ अवांछनीय परिवर्तन जिससे जल मानव तथा अन्य जीवों के प्रयोग के लिए अनुपयुक्त हो जाता हैं, तब इसे 'जल प्रदूषण' कहते हैं।
जल प्रदूषण के कारण/स्रोत
- औधोगिक अवशिष्ट
- कृषि अवशिष्ट
- घरेलू वाहित मल
- रेडियोधर्मी अवशिष्ट
- समुद्री क्षेत्रों में जलयानों द्वारा फैलाया गया प्रदूषण
जल प्रदूषकों को निम्नलिखित 2 भागों में विभाजित किया जा सकता हैं -
1. बिंदु प्रदूषक - Point Pollutant
ऐसे जल प्रदूषक जो किसी ऐसे क्षेत्र से आते हो जिसे चिह्नित किया जा सकता हैं, बिंदु प्रदूषक कहलाते हैं। जैसे की किसी औद्योगिक इकाई से आना वाला प्रदूषक
2. अबिंदु प्रदूषक - Non Point Pollutant
जब जल प्रदूषक किसी बड़े क्षेत्र से आते हैं, तब उन्हें चिह्नित करना संभव नहीं होता हैं, ऐसे प्रदूषक अबिंदु प्रदूषक कहलाते हैं। जैसे की बरसात के बहाव के साथ आने वाला प्रदूषक
प्रवाल तथा प्रवाल भित्ति क्या हैं? अनुकूल दशाएं, प्रकार और वितरण
जल प्रदूषण के प्रभाव
- सुपोषण तथा शैवाल प्रस्फुटन
- उद्योगों से निकलने वाले कांच, एल्युमिनियम और उर्वरक संयंत्रों से निकलने वाले फ्लोराइड प्रदूषकों से मनुष्य के शरीर में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ जाती हैं जिससे 'दंत फ्लोरोसिस' की समस्या उत्पन्न होती हैं।
- फ्लोराइड की अधिक मात्रा के कारण मनुष्य की हड्डियां कमजोर और टेढ़ी हो जाती हैं, जिससे कुबड़पन आ सकता हैं।
- औद्योगिक संयंत्रों से निकलने वाला पारा अत्यधिक जहरीला होता हैं जो मानव में अनेक प्रकार के रोग जैसे बहरापन, धुँधलापन, लकवा, मिर्गी, अविकसित मस्तिष्क आदि समस्याएँ पैदा करता हैं।
- सीसयुक्त जल पीने से पाचनतंत्र, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र आदि को नुकसान होता हैं।
- कैडमियम धातु से 'इताई-इताई' रोग हो जाता हैं।
- आर्सेनिक की अधिकता से 'ब्लैक फुट' रोग हो जाता हैं।
जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय
- घरेलू एवं औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले बहिस्राव या सीवेज को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा उपचारित करने के बाद ही उन्हें जल स्रोतों में डालना चलिए।
- जल का पुनर्चक्रण किया जाए अर्थात व्यर्थ जाने वाले जल को उपचार के बाद पुनः विशेष कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाए।
- अवशिष्ट पदार्थों द्वारा सस्ती गैस व विद्युत प्राप्त करने के उपाय किए जाए।
- कृषि में आवश्यकता से अधिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग न किया जाये।
- लोगों को जल प्रदूषण के प्रति जागरूक किया जाए।
3. मृदा/भूमि प्रदूषण क्या है? – What is Land Pollution in Hindi
मृदा की गुणवत्ता और उसकी उर्वरा शक्ति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले किसी भी पदार्थ का भूमि में मिलना 'मृदा प्रदूषण' कहलाता है।
भूमि प्रदूषण के कारण/स्रोत
- रसायनों का प्रयोग
कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल से बैक्टीरिया सहित सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। इनसे मृदा के भौतिक व रासायनिक गुणों में परिवर्तन आता हैं।
- लवणीय जल
मृदा में अत्यधिक लवणयुक्त जल के प्रयोग से मृदा की ऊपरी परत पर लवणों की परत जम जाती हैं।
- अपशिष्ट डंपिंग
कूड़ा-करकट, काँच, धातुएँ, प्लास्टिक आदि उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी को प्रदूषित करते हैं तथा उनके रासायनिक संघटकों में परिवर्तन कर देते हैं।
- अम्ल वर्षा
अम्ल वर्षा के कारण मृदा का pH मान कम हो जाता हैं Read More
- रेडियोएक्टिव अपशिष्ट
- वनोन्मूलन
- ख़राब कृषि तकनीक
- अतिपशुचारण
भूमि प्रदूषण के प्रभाव
- मृदा प्रदूषण के कारण सूक्ष्म जीवों की मृत्यु हो जाती हैं, इससे खाद्य चक्र पर प्रभाव पड़ता हैं।
- मृदा की उर्वरता व जलधारण क्षमता में कमी आती हैं।
- मृदा प्रदूषण के कारण भौमजल भी प्रदूषित हो जाता हैं, जिसका प्रयोग करने पर मानव में कई बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं।
- मृदा प्रदूषण से वनस्पति का ह्रास व वनों में कमी आती हैं।
भूमि प्रदूषण को रोकने के उपाय
- उर्वरकों, कीटनाशकों व खरपतवार नाशकों का सीमित प्रयोग करना चाहिए, इसकी अपेक्षा जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए।
- DDT व अन्य हानिकारक रसायनों के उपयोग पर रोक लगानी चाहिए।
- जैव उपचार तकनीकी का प्रयोग हो
- अपशिष्ट का उचित निपटान हो
- जल निकासी की उचित व्यवस्था हो
- वृक्षारोपण व पशु खाद का प्रयोग
4. ध्वनि प्रदुषण क्या हैं? - Noise Pollution In Hindi
जब ध्वनि की आवृत्ति व तीव्रता कर्णप्रिय स्तर से अधिक हो जाती है तब इसे 'शोर' की संज्ञा दी जाती है और यह 'ध्वनि प्रदूषण' कहलाता है। अतः ध्वनि का वह उच्च स्तर जो मनुष्य में उद्विग्नता, चिड़चिड़ापन तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न करता है, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है।
ध्वनि तीव्रता का मापन 'डेसीबल' (db) में किया जाता हैं।
ध्वनि प्रदूषण के कारण/स्रोत
- औद्योगिक स्रोत
- यातायात के साधन
- सामाजिक-धार्मिक कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल
- प्राकृतिक स्रोत
- मनोरंजन के साधन
ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव
- निरंतर शोर के प्रभाव में मनुष्य में झुंझलाहट, ह्रदय धड़कन का बढ़ना, मानसिक तनाव तथा अनिंद्रा आदि समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- अधिक लम्बे समय तक तीव्र ध्वनि व कम समय तक अत्यधिक तीव्र ध्वनि के संपर्क में आने पर क्रमशः बहरापन हो सकता हैं और कान के पर्दे फट सकते हैं।
- अवांछनीय शोर से मनुष्य की कार्यक्षमता और एकाग्रता दुष्प्रभावित होती हैं।
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
- ग्रीन मफ्लर अर्थात हरित पट्टी का विकास ताकि पेड़ उच्च ध्वनि तीव्रता को अवशोषित कर ले।
- कारखानों और परिवहन साधनों में कम आवाज करने वाली मशीनों व प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जाए।
- मशीनों के कल-पुर्जों में स्नेहक का प्रयोग और पुराने कल-पुर्जों जो नये द्वारा प्रतिस्थापन करना।
- कानों में Earplug का उपयोग।
- व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर जागरूकता उत्पन्न करना।
5. तापीय प्रदूषण क्या हैं? - Thermal Pollution In Hindi
उद्योगों, नाभिकीय संयंत्रों, तापीय संयंत्रों में जल शीतलक के रूप में प्रयुक्त किया जाता हैं तथा फिर यह जल सीधे ही जल स्रोतों जैसे नदी, झीलों, तालाबों, समुद्रों आदि में डाल दिया जाता हैं अतः जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता हैं, जिससे जल की गुणवत्ता दुष्प्रभावित होती हैं और यह जल जलीय जीवों के लिए हानिकारक हो जाता हैं।
तापीय प्रदूषण के प्रभाव
- जल का तापमान बढ़ने से वाष्पन दर बढ़ जाती हैं और जल में घुलित लवणों की सांद्रता अधिक हो जाती हैं।
- जल का तापमान बढ़ने से उसमें ऑक्सीजन को घोलने की क्षमता भी कम हो जाती हैं।
- तापमान में बढ़ोतरी जलीय जीवों की मृत्यु का कारण बनती हैं।
तापीय प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय
जलीय तंत्रों में पहुँचने वाले जल का उचित मापन किया जाए तथा ठंडा करने के पश्चात ही छोड़ा जाये।
6. रेडियोएक्टिव प्रदूषण - Radioactive Pollution In Hindi
परमाणु संयंत्रों अथवा परमाणु विस्फोटों के उपरांत एवं अन्य कारणों से रेडियोधर्मी पदार्थों द्वारा उत्पन्न प्रदूषण 'रेडियोएक्टिव प्रदूषण' कहलाता हैं।
रेडियोधर्मी प्रदूषण के स्रोत
- परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मी विकिरण का रिसाव
- परमाणु परीक्षण और परमाणु युद्ध के दौरान मुक्त होने वाला रेडियोएक्टिव प्रदूषण
- परमाणु भट्टियों से निकलने वाला रेडियोधर्मी कचरा
रेडियोधर्मी प्रदूषण के प्रभाव
- रेडियोएक्टिव प्रदूषक DNA में असामान्य परिवर्तन कर सकते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी वंशानुगत हो जाता हैं। इसके फलस्वरूप विकृत शिशुओं का जन्म, गर्भास्थ शिशुओं में कैंसर, गर्भपात में वृद्धि, शिशु मृत्यु दर में वृद्धि आदि प्रभाव होते हैं। ये प्रभाव जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु विस्फोट के बाद देखे गए हैं।
- रेडियोएक्टिव विकिरण के प्रभाव से त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद, अस्थि कैंसर आदि उत्पन्न हो जाते हैं।
- जैव-विविधता को खतरा
- जलवायु परिवर्तन की दशाएं उत्पन्न होना।
रेडियोधर्मी प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
- परमाणु बिजली घरों के चारों ओर चौड़ी पत्तियों वाले वृक्षों को सघन रूप में लगाना चाहिए। यह हरित पट्टी रेडियोधर्मी धूल-कणों और अन्य प्रदूषकों को अवशोषित कर सकती है।
- वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे रसायनों की खोज की जा रही है जिसके सेवन से मनुष्य में विकिरण के पड़ने वाले प्रभाव कम हो सकते हैं।
- रेडियोधर्मी पदार्थों को अन्य पदार्थों से अलग कर सुरक्षित विधि द्वारा सुरक्षित स्थान पर स्थिर किया जाना चाहिए जिससे उन्हें पर्यावरण में पहुंचने से रोका जा सके।
- जलवायु परिवर्तन क्या है? कारण और प्रभाव
- पारिस्थितिकी तथा पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?
- Global Warming और ग्रीन हाउस प्रभाव क्या हैं?
- लाल ज्वार (Red Tide) क्या है और कैसे बनता है?
- झूम कृषि क्या है? कहां की जाती हैं? और इसके नुकसान
- नगरीय ऊष्मा द्वीप क्या है? कारण, प्रभाव और उपाय
- चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात क्या हैं? कैसे बनते हैं? प्रकार और नामकरण