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वायुदाब पेटियां/कटिबंध क्या है? कैसे बनती है और इनके प्रकार | Air Pressure Belts In Hindi

इस लेख में हम जानेंगे Air Pressure Belt In Hindi क्या होती हैं और इनका निर्माण कैसे होता हैं? 

Air Pressure Belts In Hindi


वायुदाब पेटियां क्या हैं? - Air Pressure Belts In Hindi

जब अक्षांश रेखाओं के सहारे वायुदाब के विशिष्ट क्षेत्र का निर्माण होता है, उन्हें "वायुदाब पेटी/कटिबंध" कहा जाता है।


भूमध्य रेखा के पास अधिकतम तापमान के कारण निम्न वायुदाब होता है तथा कर्क रेखा एवं मकर रेखा के पास उच्च वायुदाब मिलता है। विश्व में अक्षांशीय वितरण के अनुसार उच्च वायुदाब तथा निम्न वायुदाब की कुछ निश्चित पेटियां/कटिबंध पाई जाती हैं।


वायुदाब पेटियों के प्रकार - Types Of Air Pressure Belts In Hindi


वायुदाब पेटियां 2 प्रकार की होती है -
  1. तापजन्य वायुदाब पेटी - Thermally Induced Air Pressure Belt 
  2. गतिजन्य वायुदाब पेटी - Dynamic  Air Pressure Belt 

1. तापजन्य वायुदाब पेटी - Thermally Induced Air Pressure Belt 

ये वायुदाब पेटियां तापमान के प्रभाव में विकसित होती हैं। 
  • तापमान बढ़ने पर वायुदाब कम हो जाता है। 
  • तापमान कम होने पर वायुदाब ज्यादा हो जाता है। 

2. गतिजन्य वायुदाब पेटी - Dynamic  Air Pressure Belt 

गतिजन्य वायुदाब पेटी तापमान पर निर्भर नहीं करती है। इसके निर्माण में पृथ्वी का घूर्णन, पवनों का अभिसरण आदि प्रमुख होता है। 


पृथ्वी पर वायुदाब पेटियों का वितरण - Pressure Belt In Hindi

पृथ्वी पर 7 वायुदाब पेटियां पाई जाती हैं। जिसमें से विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब की पेटी को छोड़कर अन्य तीन पेटियां (उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी, उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी, तथा ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी) उत्तरी व दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में पाई जाती हैं। 


इनमें से विषुवतरेखीय तथा ध्रुवीय पेटियां तापजनित है जबकि उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी तथा उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी 'गतिजन्य वायुदाब पेटियां' है। 

Air Pressure Belts In Hindi


विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब पेटी

  • विषुवत रेखीय क्षेत्र में औसत वार्षिक तापमान सर्वाधिक होता है अतः वायु आरोहित (ऊपर की ओर उठना) होती है, इससे सतह पर निम्न वायुदाब का क्षेत्र निर्मित होता है, इसे "विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब पेटी" कहते है। 
 
  • यह पेटी 0° से 5° N और 5° S के मध्य मध्य निर्मित होती है। नाविकों ने इस क्षेत्र को "डोलड्रम" कहा है। डोलड्रम से तात्पर्य 'शांत क्षेत्र' होता है।

ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी

ध्रुवों पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है जिससे वहाँ अत्यधिक निम्न तापमान पाया जाता है। निम्न तापमान के अधीन वायु ठंडी होकर ध्रुवों के परितः उतरती है, जिससे वहां उच्च वायुदाब की दशाएं निर्मित होती है। इसे "ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी" कहते है। 


  • यह दोनों गोलार्ध में 70° - 90° अक्षांशों के मध्य निर्मित होती है। 
  • विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी तथा ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी सतह के तापमान के अनुरूप है, अतः ये "तापजन्य पेटियां" है। 

उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी

विषुवतीय क्षेत्र से ऊपर उठने वाली वायु क्षोभसीमा पर पहुंचकर ध्रुवों की ओर अपसरित होती है किंतु पृथ्वी के घूर्णन की कारण विक्षेपित होकर दोनों गोलार्द्धों में 30° - 35° अक्षांशों पर नीचे उतरती है और वहां उच्च वायुदाब पेटी का निर्माण करती है इसी "उपोषण उच्चवायुदाब पेटी" कहते है। 


उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी

उपोष्ण उच्च वायुदाब व ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटियों से अपसरित होने वाली विपरीत स्वभाव की हवाएँ एक-दूसरे से दोनों गोलार्द्धों में 60° - 65° अक्षांशों पर अपसरित होकर आरोहित होती है, अतः सतह पर निम्न वायुदाब पेटियों का निर्माण होता है, "उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी" कहते है। 


  • उपोष्ण उच्च वायुदाब व उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियां अपनी सतह के तापमान के अनुरूप नहीं है इनके निर्माण में तापमान की जगह पृथ्वी के घूर्णन व विपरीत स्वभाव वाली हवाओं के अभिसरण का योगदान है, अतः ये "गतिजन्य वायुदाब पेटियां" है। 

  • दोनों गोलार्द्धों में उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधों [ (30° N - 35° N)  (30° S- 35° S) ] को "अश्व अक्षांश" (Horse Latitude) कहा जाता है। क्योंकि प्राचीन समय में यह व्यापार का एक प्रमुख मार्ग था जिससे घोड़ों का व्यापार होता था। घोड़ों को ले जाने वाली नौकाओं को शांत वायुमंडलीय दशाओं के कारण इस क्षेत्र में काफी कठिनाई होती थी, ऐसी स्थिति में अपनी नौकाओं का भार हल्का करने के लिए घोड़ों को समुद्र में फेंक दिया जाता था। 

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