इस लेख में अम्ल वर्षा/अम्लीय वर्षा/Acid Rain in Hindi के बारे में जानकारी दी गयी हैं। यहाँ Amliya Varsha Kya Hai Aur Yah Kaise Hoti Hai, Amal Varsha Ke Parinaam आदि के बारे में विस्तार से बताया गया हैं।
Amliya Varsha Kya Hai? - What is Acid Rain in Hindi
सामान्यतः वर्षा जल का pH मान 5.5 से 6.5 के मध्य होता है किंतु जब इसका pH मान 5.5 से कम हो जाता है तब ऐसी वर्षा 'अम्लीय वर्षा/अम्ल वर्षा/Acid Rain' कहलाती है।
अम्लीय वर्षा का कारण - Acid Rain Causes in Hindi
अम्ल वर्षा के लिए मुख्य रूप से 2 प्रकार के वायु प्रदूषक सल्फर डाईऑक्साइड (SO₂) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO₂) उत्तरदायी होते हैं। SO₂ व NO₂ कोयला, उद्योगों, वाहनों, घरों आदि से निकलने वाले धुएँ से उत्सर्जित होकर वायुमंडल में पहुंचते हैं और वर्षा जल से क्रिया कर उसका pH मान 5.5 से कम कर देते हैं और जब यह जल वर्षा के रूप में भूमि, नदी, तालाबों में गिरता हैं तो वहां के जीवों के लिए कई समस्याएँ उत्पन्न करता है।
प्रवाल तथा प्रवाल भित्ति क्या हैं?
अम्लीय वर्षा के प्रकार - Types Of Acid Rain in Hindi
अम्ल वर्षा 2 प्रकार की होती हैं -
- शुष्क अम्ल वर्षा (Dry Acid Rain)
- आर्द्र अम्ल वर्षा (Wet Acid Rain)
शुष्क अम्ल वर्षा (Dry Acid Rain)
जब सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड किसी सतह पर शुष्क रूप में अवक्षेपित होते हैं और सतह पर बने रहते हैं तो इसे "शुष्क अम्ल वर्षा" कहते है।
आर्द्र अम्ल वर्षा (Wet Acid Rain)
जब वायुमंडल में उपस्थित सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वर्षा जल से क्रिया करते हैं और वर्षा जल का pH मान 5.5 से कम हो जाता है तब इसे "आर्द्र अम्ल वर्षा" कहते हैं।
ज्वालामुखी क्या हैं? इससे सम्बंधित पूरी जानकारी
अम्ल वर्षा के प्रभाव - Amal Varsha Ke Parinaam
- अम्ल वर्षा के कारण जल और मृदा का pH मान कम हो जाता है जिससे मृदा में कई तत्वों की कमी हो जाती है और विषाक्त एलुमिनियम मुक्त होता है।
- अम्ल वर्षा के कारण अनेक जीवाणु और नील हरित शैवाल मर जाते हैं जिससे पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ जाता है।
- Amliya Varsha से जलाशयों में मछलियां मर जाती है। अमेरिका, कनाडा, नॉर्वे की कई झीलें अत्यधिक अम्लीकृत होने के कारण ही 'मछलियों का कब्रिस्तान' कही जाती है और अम्ल वर्षा को झीलों का कातिल कहा जाता है।
- अम्ल वर्षा से संगमरमर, चूना पत्थर आदि से बनी इमारतें पीली पड़ जाती है या उनमें छोटे-छोटे छिद्र बनने लगते हैं जिसे "संगमरमर का कोढ़ या कैंसर" कहा जाता है।
- अम्ल वर्षा के कारण जल में भारी धातुओं जैसे की कॉपर, ज़िंक, लेड आदि की मात्रा बढ़ जाती है।
- वन तथा अन्य वनस्पतियां भी बड़े पैमाने पर नष्ट होती है।
- मानव कई प्रकार के चर्म रोगों का शिकार हो जाता है।
इन्हें भी देखे: