आज के इस लेख में हम सुनामी (Tsunami) के बारे में जानेंगे। हम जानेंगे की Tsunami Kya Hota Hai, Tsunami Ke Prakar, Tsunami Ke Karan और Tsunami Ke Prabhav. सुनामी एक ऐसी प्राकृतिक आपदा हैं जो बड़े पैमाने पर जन-धन को हानि पहुँचाती हैं। सुनामी की सर्वाधिक वैज्ञानिक व्याख्या "प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत" से होती है।
सुनामी क्या हैं ? - Tsunami Kya Hota Hai In Hindi
सुनामी "जापानी भाषा" का शब्द हैं। यह जापानी भाषा के "सु" तथा "नामी" से लिया गया हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ होता हैं -
सु - बन्दरगाह
नामी - लहर
अर्थात "बंदरगाही लहर/तरंग"
"महासागर अथवा सागर में जल के वृहद स्तरीय विस्थापन से उत्पन्न तरंगों की शृंखला को 'सुनामी (Tsunami)' कहते हैं"।
सुनामी लहरों की ऊँचाई गहरे जल में कम होती हैं किन्तु जब ये तटों पर पहुँचती हैं तब इनकी ऊँचाई में अत्यधिक वृद्धि हो जाती हैं। ये तटीय भागों में अधिक विनाश करती हैं।
सुनामी के प्रकार - Tsunami Ke Prakar
सुनामी मुख्य रूप से 2 प्रकार की होती हैं -
- स्थानीय या क्षेत्रीय सुनामी - Local Tsunami
- दूरस्थ सुनामी - Distant Tsunami
1. स्थानीय या क्षेत्रीय सुनामी - Local Tsunami
- यह सुनामी तटीय क्षेत्रों के आसपास उत्पन्न होती हैं।
- यह भूकंप या भूस्खलन से उत्पन्न होती हैं।
- यह सुनामी विशेषकर उन तटीय देशों को प्रभावित करती हैं जिनकी तटीय सीमा प्रशांत महासागर, दक्षिण चीन सागर, सुलु सागर आदि से लगती हैं।
- यह सुनामी 2 से 5 मिनट के भीतर तटों तक पहुंच जाती हैं।
2. दूरस्थ सुनामी - Distant Tsunami
- यह सुनामी तटीय क्षेत्रों से बहुत दूर उत्पन्न होती हैं।
- यह तटों पर पहुँचने में लगभग 1 से 24 घंटें का समय लेती हैं।
- यह सुनामी मुख्य रूप में उन देशों को अधिक प्रभावित करती जिनकी तटीय सीमा प्रशांत महासागर से लगती हैं। जैसे की - USA, चिली, जापान आदि।
सुनामी की उत्पत्ति के कारण - Tsunami Ke Karan
सुनामी की उत्पत्ति के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी होते हैं -
- विवर्तनिक प्लेटों का आपस में टकराना
- अन्तःसमुंद्री भूकंप
- महासागर की तली पर तीव्र ज्वालामुखी उद्गार
- महासागरीय नितल पर काल्डेरा मे धँसाव
- महासागरीय तली में वृहद स्तर पर भूस्खलन
- उल्कापिंड, धूमकेतु आदि का महासागरीय सतह से टकराना
- मानव द्वारा महासागरों में परमाणु विस्फोट परीक्षण।
सुनामी के प्रभाव - Tsunami Ke Prabhav
- मानव जीवन व परिसम्पतियों की क्षति
- तटीय क्षेत्रों में लोगों की आजीविका सम्बन्धी चुनौतियाँ
- तटीय पारिस्थितिक तंत्रों जैसे प्रवाल भित्तियों तथा मैंग्रोव को क्षति
- तटीय अपरदन में वृद्धि
- लवणीय जल तट की ओर फैलता हैं अतः मृदा लवणीयता की समस्या उत्पन्न होती हैं।
- जनसंख्या का पलायन व क्षेत्र विशेष की आर्थिक गतिविधियाँ दुष्प्रभावित होती हैं।
सुनामी से बचाव - Tsunami Se Bachav
सुनामी चेतावनी सुनामी से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय हैं। भारत द्वारा हिन्द महासागर में आधुनिक सुनामी चेतावनी प्रणाली स्थापित की गयी हैं जो न्यूनतम समय में सटीक जानकारी देने में सक्षम हैं। बंगाल की खाड़ी में 4 तलदाब अभिलेखक तथा अरब सागर में 2 तलदाब अभिलेखक लगाए गए हैं। इनसे Indian National Center for Ocean Information Services (INCOIS) तथा India Meteorological Department (IMD) को सुनामी की उत्पत्ति के बाद उपग्रह के माध्यम से तत्काल आँकड़े प्राप्त हो जाते हैं।
The Pacific Tsunami Warning Center (PTWC) and Northwest Pacific Tsunami Advisory Center (NWPTAC) एजेंसिया, प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में सुनामी की निगरानी रखती हैं और आसपास के देशों को सुनामी चेतावनी भेजती हैं।
सुनामी से सम्बंधित अन्य तथ्य
1. सुनामी छिछले जल की तरंगे हैं, जिनका तरंगदैर्ध्य अत्यधिक होता हैं। इनके वेग को निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्रकट करते हैं -
सुनामी का वेग - √g × जल की गहराई
इस प्रकार गहरे जल में इनका वेग ज्यादा होता हैं तथा छिछले जल में वेग में कमी किन्तु ऊँचाई में अत्यधिक वृद्धि हो जाती हैं।
2. तट पर सागर तल (sea level) से सुनामी की अधिकतम ऊँचाई "रन-अप (Run-Up)" कहलाती हैं।
इन्हें भी देखे -
महासागरीय नितल प्रसरण सिद्धांत