आज के इस लेख में हम आपको Jwalamukhi के सभी पक्षों को विस्तार से बताएंगे। Jwalamukhi Kya Hai, क्यों उद्गारित होता हैं, उद्गार में कौन-कौन से पदार्थ निकलते हैं, Volcano के प्रकार, Jwalamukhi उद्गार से निर्मित भू-आकृतियाँ आदि सभी को आज के इस लेख में जानेंगे। इस लेख को पढ़ने के बाद आपको Jwalamukhi टॉपिक से सम्बंधित सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे।
विषयवस्तु- ज्वालामुखी क्या हैं - Volcano Meaning In Hindi
- ज्वालामुखी और ज्वालामुखीयता में अंतर
- ज्वालामुखी उद्गार के कारण
- ज्वालामुखी से उद्गारित पदार्थ
- ज्वालामुखी के प्रकार
- ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ
- गौण ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ
- ज्वालामुखियों का वैश्विक वितरण
- भारत के प्रसिद्ध ज्वालामुखी
- विश्व के कुछ प्रमुख ज्वालामुखी
- ज्वालामुखियों के प्रभाव
- ज्वालामुखी उद्गार की भविष्यवाणी
- ज्वालामुखियों से सम्बंधित कुछ शब्दावलियाँ
- FAQs
Jwalamukhi Kya Hai - Volcano In Hindi
भू-पृष्ठ पर स्थित वह छिद्र (Vent) या दरार (Fissure) जिससे भू-गर्भ में स्थित विभिन्न तप्त पदार्थ जैसे तरल लावा, गैसें, चट्टानी टुकड़े आदि उद्गारित होते हैं, "ज्वालामुखी (Volcano)" कहलाता हैं।
ज्वालामुखी और ज्वालामुखीयता में अंतर - Difference Between Volcano And Volcanism In Hindi
ज्वालामुखी एक संरचना (Structure) हैं, जिसके सहारे भू-गर्भ से विभिन्न तप्त पदार्थों, गैसों तथा चट्टानी टुकड़ों आदि का उद्गार होता हैं।
जबकि ज्वालामुखीयता एक क्रिया हैं, जिसके अंतर्गत भू-गर्भ में मैग्मा व गैसों आदि के निर्माण, उनकी उपरमुखी गति (ऊपर की ओर), तथा भू-पृष्ठ पर उद्गारित होने जैसी समस्त गतिविधियाँ शामिल की जाती हैं।
ज्वालामुखी उद्गार के कारण - Volcano Eruption In Hindi
- भूगर्भीय ताप में वृद्धि
- अत्यधिक ताप पर दबाव कम हो जाने के कारण लावा की उत्पत्ति
- भूगर्भ में विभिन्न गैसों तथा वाष्प की उत्पत्ति
- भू-पृष्ठ पर कमजोर क्षेत्रों का होना
- प्लेट विवर्तनिकी
- संवहन धाराओं का उपरमुखी प्रवाह
ज्वालामुखी से उद्गारित पदार्थ - Material Produced In Volcanic Eruption In Hindi
Jwalamukhi उद्गार में विभिन्न प्रकार के पदार्थ उद्गारित होते हैं, जो निम्नलिखित हैं -
- ठोस तथा अर्द्धठोस
- द्रव तथा अर्द्धद्रव
- गैसें
1. ठोस तथा अर्द्धठोस (Solid and Semi-Solid)
ज्वालामुखी उद्गार के दौरान कई प्रकार के ठोस चट्टानी टुकड़े निकलते हैं, इन चट्टानी टुकड़ों को संयुक्त रूप में "टेफ्रा (Tephra)" कहा जाता हैं।
ज्वालामुखी उद्गार में निकलने वाले विभिन्न प्रकार के चट्टानी टुकड़ों में से प्रत्येक टुकड़ा "पायरोक्लास्ट (Pyroclast)" कहलाता है अर्थात एकल चट्टानी टुकड़े को 'पायरोक्लास्ट' कहते है।
- 2 mm से कम आकार वाले चट्टानी टुकड़े, "ज्वालामुखी राख (Volcanic Ash)" कहलाते है। इसे "सिंडर (Cinder)" भी कहते है।
- 2 mm से 64 mm के मध्य के आकार वाले ठोस चट्टानी टुकड़े "लैपिली" कहलाते हैं।
- 64 mm से अधिक आकार वाले चट्टानी टुकड़े "ब्लॉक (Block)" और "बम (Bomb)" कहलाते हैं।
2. द्रव तथा अर्द्धद्रव (Liquid and Semi-liquid)
भूगर्भ में चट्टानों के खनिजों के पिघलने से निर्मित गैसयुक्त तरल एवं अर्द्धतरल मिश्रण "मैग्मा (Magma)" कहलाता हैं। जब मैग्मा ज्वालामुखी से भूपृष्ठ पर उद्गारित होता है, तब यह "लावा (Lava)" कहलाता हैं।
लावा कई प्रकार का होता हैं, इसके कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं -
(i) अम्लीय लावा (Acidic Lava)
(ii) माध्यमिक लावा (Intermediate Lava)
(iii) क्षारीय लावा (Basic Lava)
(iv) अतिक्षारीय लावा (Ultra basic Lava)
(i) अम्लीय लावा (Acidic Lava)
- अम्लीय लावा में SiO₂ (सिलिका या सिलिकॉन डाईऑक्साइड) की मात्रा 63% होती हैं।
- इसमें फेल्सफर व सिलिका की मात्रा अधिक होती हैं इस कारण इसे "फेल्सिक या सिलिसिक लावा" भी कहते हैं।
- यह श्यान (गाढ़ा) लावा होता हैं।
- इस लावा में सिलिका की मात्रा अधिक होती हैं, इस कारण इसका रंग हल्का होता हैं।
- इसका तापमान 800 °C से 950 °C के बीच होता हैं।
- श्यान लावा होने के कारण यह तीव्र विस्फोट के साथ उद्गारित होता हैं।
- इसका घनत्व कम होता हैं।
- यह अभिसारी प्लेट किनारे के अंतर्गत आता है।
- इससे ऊँचे लावा शंकुओं का निर्माण होता हैं।
- विश्व में स्रावित लावा का मात्र 10% अम्लीय लावा हैं।
- उदाहरण - रायोलाइट लावा (ग्रेनाइट के पिघलने से बना लावा)
(ii) माध्यमिक लावा (Intermediate Lava)
- इस प्रकार के लावा में सिलिका की मात्रा 52% से 63% के बीच होती हैं।
- इसमें Mg व Fe भी पाया जाता हैं।
- इसका तापमान 850 °C से 1100 °C के मध्य होता हैं।
- इसमें विस्फोट की तीव्रता अम्लीय लावा की तुलना में कम होती हैं।
- यह भी अभिसारी प्लेट किनारे के अंतर्गत आता हैं।
- उदाहरण - एंडेसाइट लावा (बेसाल्ट के पिघलने से निर्मित)
(iii) क्षारीय लावा (Basic Lava)
- क्षारीय लावा में सिलिका की मात्रा 45% से 52% के मध्य होती हैं।
- इसमें भी Mg व Fe उपस्थित होता हैं, इस कारण इसे "मैफिक लावा" भी कहा जाता हैं।
- यह अश्यान लावा (पतला लावा) होता हैं।
- Mg व Fe की उपस्थिति के कारण इसका रंग गहरा होता हैं।
- इसका घनत्व अधिक होता हैं।
- इसका तापमान 1000 °C से 1200 °C के मध्य होता हैं।
- अश्यान लावा होने के कारण यह शांत रूप में उद्गारित होता हैं।
- यह हॉटस्पॉट (Hotspot) व अपसारी प्लेट किनारे के अंतर्गत आता हैं।
- विश्व में स्रावित लावा का 90% क्षारीय लावा है।
- उदाहरण - बेसाल्टिक लावा (पेरीडोटाइट चट्टानों के पिघलने से निर्मित)
(iv) अतिक्षारीय लावा (Ultrabasic Lava)
- इसमें सिलिका की मात्रा 45% से कम होती हैं।
- इसका तापमान 1200 °C से 1600 °C के बीच होता हैं।
3. गैसें (Gases)
- कार्बनडाइऑक्साइड
- मीथेन
- क्लोरीन
- हाइड्रोजनसल्फाइड
- नियॉन
- सल्फरडाईऑक्साइड
- आर्गन
- नाइट्रोजन
लावा और मैग्मा में अंतर - Difference Between Magma and Lava In Hindi
ज्वालामुखी के प्रकार - Types Of Volcano In Hindi
A. केंद्रीय नलिका ज्वालामुखी - (Central Pipe Eruption Volcano)
- इस प्रकार के ज्वालामुखी में लावा और अन्य पदार्थों का उद्गार एक केंद्रीय नलिका के सहारे होता हैं।
- ये ज्वालामुखी प्रायः अभिसारी प्लेट किनारों से सम्बंधित होते हैं।
- इनसे उद्गारित लावा श्यान (पतला) एवं गैसयुक्त होता हैं तथा अत्यधिक दबाव के अधीन उद्गारित होता हैं, इसलिए ये विस्फोटक उद्गार के साथ उद्गारित होते हैं।
- श्यान लावा उद्गार होने के कारण लावा, ज्वालामुखी छिद्र के समीप एकत्रित होकर ऊँचे शंकुओं का निर्माण करता हैं।
(i) पीलियन तुल्य ज्वालामुखी
पीलियन ज्वालामुखी पश्चिमी द्वीप समूह (वेस्टइंडीज) के "मार्टिनिक द्वीप" पर स्थित है तथा इसे सर्वाधिक विस्फोट वाला ज्वालामुखी माना गया हैं।
(ii) विसूवियस तुल्य ज्वालामुखी
यह ज्वालामुखी इटली में नेपल्स की खाड़ी में स्थित है। विस्फोटकता के क्रम में इसका दूसरा स्थान हैं। इसे "प्लिनियन ज्वालामुखी" भी कहते हैं क्योंकि इसका अध्ययन 'प्लीनी' महोदय ने किया था।
(iii) वोल्कैनो तुल्य ज्वालामुखी
(iv) स्ट्राम्बोली तुल्य ज्वालामुखी
(v) हवाइयन तुल्य ज्वालामुखी
B. दरारी उद्गार ज्वालामुखी (Fissure Eruption Volcano)
- इनमें लावा उद्गार दरार के सहारे होता हैं।
- इनका संबंध प्रायः अपसारी प्लेट किनारे से होता हैं।
- इस प्रकार के उद्गार में "बेसाल्टिक लावा" भू-पृष्ठ पर आता हैं, जो अश्यान होता हैं तथा जिसमें गैसों की मात्रा कम होती हैं अतः यह एक शांत प्रकार का उद्गार होता हैं।
- अश्यान लावा होने के कारण ये दूर तक फैलता हैं और लावा पठार, लावा मैदान और मध्य महासागरीय कटक आदि का निर्माण करता हैं।
C. हॉटस्पॉट ज्वालामुखी (Hotspot Volcano)
जब ज्वालामुखी उद्गार विवर्तनिक प्लेटों के किनारों पर ना होकर प्लेटों के आंतरिक भाग में होते हैं, तब इन्हें "अन्तराप्लेट ज्वालामुखी/हॉटस्पॉट ज्वालामुखी" कहा जाता हैं। इनके निर्माण की व्याख्या मैंटल प्लूम (Mantle Plume) के सहारे की जाती हैं।
D. पंक - ज्वालामुखी (Mud Volcano)
पंक ज्वालामुखी वह आकृति हैं जो भू-गर्भ से कीचड़ या गारा, जल व गैसों के उद्गार से निर्मित होती हैं। इनमें लावा उद्गार का अभाव होता हैं अतः इन्हें वास्तविक ज्वालामुखी के बजाय "छद्म या कूट ज्वालामुखी (Pseudo Volcano)" माना जाता हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार पंक ज्वालामुखी अभिसारी प्लेट किनारों वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
इनसे उद्गारित कीचड़ और जल का तापमान 2°C से 100°C तक हो सकता हैं। इनसे मीथेन, कार्बनडाईऑक्साइड, व नाइट्रोजन आदि गैसें उत्सर्जित होती हैं। इसी के साथ इससे उद्गारित कीचड़ में कई लवण, अम्ल और हाइड्रोकार्बन पाए जाते हैं।
कुछ क्षेत्रों में जहाँ कीचड़ का तापमान कम होता है, इनका उपयोग पंक स्नान (Mud Spa) के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण -
- भारत के अंडमान में "बाराटांग पंक ज्वालामुखी"
- इंडोनेशिया का "लूसी पंक ज्वालामुखी"
- अजरबैजान का "दाशिली पंक ज्वालामुखी"
(ii) क्षारीय लावा ज्वालामुखी
(ii) प्रसुप्त ज्वालामुखी
(iii) मृत ज्वालामुखी
(i) सक्रिय ज्वालामुखी - Active Volcano
वे ज्वालामुखी जिनमें वर्तमान में ज्वालामुखी उद्गार के लक्षण पाए जाते हैं।
- ओजोस डेल सेलेडो (Ojos Del Salado) - अर्जेंटीना तथा चिली
- कोटोपैक्सी (Cotopaxi) - इक्वाडोर (Ecuador)
- किलायू (Kilauea) - हवाई द्वीप
- बैरन द्वीप (Barren Island) - अंडमान (भारत)
(ii) प्रसुप्त ज्वालामुखी - Dormant Volcano
- विसूवियस - इटली
- नारकोंडम - अंडमान (भारत)
(iii) मृत ज्वालामुखी - Dead Volcano
- माउंट पोपा - म्यांमार
- माउंट दमावंद - ईरान
ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ - Volcanic Landforms In Hindi
मैग्मा तथा लावा के ठन्डे होने से निर्मित भू-आकृतियाँ, ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ कहलाती हैं। ये भू-आकृतियाँ निम्नलिखित 2 प्रकार की हो सकती हैं -
- अभ्यांतरिक या अन्तर्वेधी ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ
- बहिर्वेधी ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ
1. अभ्यांतरिक या अन्तर्वेधी ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ - Intrusive Volcanic Landforms In Hindi
- बैथोलिथ (Batholith) - मैग्मा का वृहद गुंबदाकार जमाव
- स्टॉक (Stock) - बंद गोभी के आकार में मैग्मा का जमाव
- डाइक (Dike) - मैग्मा का ऊर्ध्वाधर जमाव
- सिल या शीट (Sill) - मैग्मा का क्षैतिज जमाव सिल कहलाता हैं। यदि सिल का आकार बहुत कम (mm में) हो तो इसे शीट कहते हैं।
- लोपोलिथ (Lopolith) - मैग्मा का अवतलाकार जमाव
- लैकोलिथ (Laccolith) - मैग्मा का उत्तलाकार जमाव
- फैकोलिथ (Faecolith) - मैग्मा का तरंग रूप में अर्थात अपनति तथा अभिनति के रूप में जमाव
2. बहिर्वेधी ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ - Extrusive Volcanic Landforms In Hindi
जब भू-पृष्ठ पर लावा के ठंडा होकर जमने से भू-आकृतियों का निर्माण होता हैं, तब इन्हें बहिर्वेधी ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ कहा जाता हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार के उद्गारों के अधीन निर्मित भू-आकृतियों को शामिल किया जाता हैं -
A. केंद्रीय नलिका उद्गार से निर्मित भू-आकृतियाँ
B. दरारी उद्गार से निर्मित भू-आकृतियाँ
A. केंद्रीय नलिका उद्गार
इसके अंतर्गत निर्मित होने वाली भू-आकृतियों को उनकी संरचना के आधार पर निम्नलिखित 2 भागों में विभाजित किया गया हैं -
a. उत्थित भू-आकृतियाँ
b. गर्तनुमा भू-आकृतियाँ
(i). उत्थित भू-आकृतियाँ
जब ज्वालामुखी उद्गार में प्राप्त लावा के जमने से शंकु जैसी संरचना का निर्माण होता हैं तब इसे "ज्वालामुखी या लावा शंकु" कहते हैं। शंकु का आकार लावा की प्रकृति पर निर्भर करता हैं। विभिन्न प्रकार के लावा शंकु निम्नलिखित हैं -
(i) सिंडर या राख शंकु - Cinder or Ash Cone
इस शंकु का निर्माण ज्वालामुखी राख जैसे शुष्क पदार्थों से होता हैं।
उदाहरण - जोरल्लो - मैक्सिको
(ii) अम्लीय लावा शंकु - Acidic Lava Cone
इस प्रकार के शंकु का निर्माण अम्लीय लावा के एकत्रित होने से होता हैं। अम्लीय लावा अत्यधिक श्यान (पतला) होता हैं अतः इससे अधिक ढाल वाले शंकुओं का निर्माण होता हैं।
उदाहरण - स्ट्राम्बोली
(iii) क्षारीय लावा शंकु - Basic Lava Cone
इसका निर्माण क्षारीय लावा द्वारा होता हैं, क्षारीय लावा अश्यान होने के कारण दूर तक फैलता हैं। अतः इससे निर्मित शंकु अत्यधिक छोटे होते हैं, इन्हें "शील्ड शंकु" भी कहा जाता हैं।
उदाहरण - मौना केआ और मौना लोआ
(iv) मिश्रित या परतदार शंकु - Composite or Strato Cone
ये शंकु कई परतों के बने होते हैं। ये सर्वाधिक ऊँचे शंकु होते हैं।
उदाहरण - ओजोस डेल सेलेडो
(v) परपोषी या परजीवी शंकु - Parasite Cone
जब मिश्रित शंकु ज्वालामुखी में उद्गार बंद हो जाता है तब उसकी केंद्रीय नलिका में लावा भर जाने से नली अवरुद्ध हो जाती है। जब पुनः इसमें उद्गार की स्थिति बनती हैं तब मुख्य नलिका से लावा उद्गार न हो पाने की वजह से मुख्य नलिका के सहारे कई द्वितीयक नलिकाएँ निर्मित हो जाती हैं जो मुख्य शंकु के ढाल पर छोटे-छोटे शंकुओं का निर्माण करती हैं, इन्हें ही "आश्रित शंकु या परजीवी शंकु" कहते हैं।
उदाहरण - शास्ता ज्वालामुखी
(vi) हॉर्नीटो शंकु - Hornito Cone
इसमें बुँदाकार टीले जैसे शंकु का निर्माण होता हैं।
जब मिश्रित ज्वालामुखी शंकु में उद्गार समाप्त हो जाता है तब उसकी नली व छिद्र में लावा भर जाता है। कालांतर में शंकु के अपरदित हो जाने से नली में जमा लावा स्तंभ की तरह दिखाई पड़ने लगता है, इसे "लावा/ज्वालामुखी डाट" या "लावा प्लग" कहते हैं।
(ii). गर्तनुमा भू-आकृतियाँ
ज्वालामुखी छिद्र के ऊपर स्थित कीपाकार गर्तनुमा संरचना को क्रेटर कहा जाता हैं। क्रेटर का ढाल ज्वालामुखी शंकु पर निर्भर करता है।
मार (Maar) - यह क्रेटर का एक अन्य रूप है। यह 'रिमलेस क्रेटर' होता है अर्थात इसके कोने स्पष्ट नहीं होते हैं।
(ii) काल्डेरा (Caldera)
काल्डेरा का शाब्दिक अर्थ "कड़ाहा" होता है। यह क्रेटर का विस्तारित रूप हैं, जिसका आकार 1 km से अधिक होता है।
काल्डेरा का निर्माण क्रेटर के धँसाव अथवा ज्वालामुखी विस्फोट द्वारा क्रेटर के विस्तारित होने से होता है।
B. दरारी उद्गार से निर्मित भू-आकृतियाँ
- भ्रंश
- लावा पठार
- लावा मैदान
- मध्य महासागरीय कटक
गौण ज्वालामुखी भू-आकृतियाँ
1. गेसर (Geyser)
ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाए जाने वाले वे छिद्र या दरार जिनसे रुक-रुक कर गर्म जल का उद्गार होता हैं, उन्हें "गेसर (Geyser)" कहा जाता हैं। इनका संबंध ज्वालामुखी क्रिया के प्रारंभिक चरण से होता हैं।
उदाहरण - USA के Yellow-stone National Park में स्थित "Old Faithful Geyser"
2. गर्म जल स्रोत (Hot Water Springs)
वे छिद्र या दरार जिनसे निरंतर गर्म जल उद्गारित होता रहता है, उन्हें "गर्म जल स्रोत" कहते हैं। इनका संबंध ज्वालामुखी क्रिया से होना अनिवार्य नहीं होता हैं।
उदाहरण - मणिकर्ण (हिमाचल प्रदेश), पूगा घाटी (लद्दाख)
3. धुँआरे (Fumaroles)
वे छिद्र या दरार जिनसे जलवाष्प तथा अन्य गैसें उद्गारित होती है, धुँआरे (Fumaroles) कहलाते हैं। इनसे जलवाष्प, कार्बनडाइऑक्सइड, मीथेन, सल्फरडाइऑक्सइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैसें निकलती हैं। इनका सम्बन्ध ज्वालामुखी क्रिया के अंतिम चरण से होता हैं।
उदाहरण - The Valley Of Ten Thousand Smoke - अलास्का
ज्वालामुखियों का वैश्विक वितरण
विश्व में घटित होने वाली ज्वालामुखी परिघटनाओं में 80% अभिसारी प्लेट किनारों के अंतर्गत संपन्न होती हैं। जबकि अपसारी और hotspot गतिविधियों योगदान क्रमशः 15% और 5% होता हैं -
विश्व में ज्वालामुखियों के वितरण को निम्नलिखित मेखलाओं के आधार पर समझा जा सकता हैं -
1. परिप्रशान्त मेखला या अग्निवलय (Circum Pacific Belt or Ring Of Fire)
इस मेखला में विश्व के सक्रिय ज्वालामुखियों में से 2/3 ज्वालामुखी पाए जाते हैं। यह मेखला अंटार्कटिका में "माउंट इरेबस" से प्रारंभ होती हैं तथा "न्यूजीलैंड" तक विस्तारित हैं।
यहाँ ओजोस डेल सेलेडो, कोटोपैक्सी, सेंट हेलेंस, फ्यूजियामा, मेयान, मेरापी आदि प्रमुख ज्वालामुखी हैं।
2. मध्य महाद्वीपीय पेटी - (Mid Continental Belt)
यह पेटी यूरेशिया के युवा वलित पर्वतों के क्षेत्र से गुजरती हैं तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में अग्निवलय में मिल जाती हैं। भूमध्यसागर के ज्वालामुखी इसी पेटी का हिस्सा हैं।
भारत का "बैरन द्वीप" तथा अफ्रीका की "महान भू--भ्रंश घाटी" इसी पेटी का हिस्सा हैं।
माउंट दमावंद, स्ट्रॉम्बोली, विसूवियस व एटना इस पेटी के कुछ प्रमुख ज्वालामुखी हैं।
3. मध्य अटलांटिक पेटी - (Mid Atlantic Belt)
यहाँ मध्य अटलांटिक कटक के सहारे अपसारी प्लेट किनारे के अंतर्गत ज्वालामुखी उद्गार होते हैं। यहाँ आइसलैंड, सेंट हेलना, एजोर्स द्वीप, हेकला आदि प्रमुख ज्वालामुखी क्षेत्र हैं।
4. अंतरा-प्लेट ज्वालामुखी
ऐसे क्षेत्र जहाँ प्लेटों के आंतरिक भाग में ज्वालामुखी उद्गार होते हैं, अंतराप्लेट ज्वालामुखी क्षेत्र कहलाते हैं। इनका संबंध मैंटल प्लूम और हॉट-स्पॉट से होता हैं।
उदाहरण - हवाई द्वीप के ज्वालामुखी
भारत के प्रसिद्ध ज्वालामुखी - Volcano In India
ज्वालामुखी | स्थान |
---|---|
बैरन द्वीप | अंडमान |
नारकोंडम | अंडमान |
बाराटांग | अंडमान |
दक्कन ट्रैप | महाराष्ट्र |
धिनोधर | गुजरात |
धोसी | हरियाणा |
विश्व के कुछ प्रमुख ज्वालामुखी
ज्वालामुखी | देश/स्थान |
---|---|
बैरन द्वीप | अंडमान (भारत) |
माउंट पोपा | म्यांमार |
फ्युजियामा | जापान |
माउंट ताल एवं मैयान | फिलीपींस |
मेरापी | इंडोनेशिया |
अगुंग | इंडोनेशिया |
माउंट दमावंद | ईरान |
कोहेसुल्तान | ईरान |
एल्बुर्ज | ईरान |
अरमीनिया | अरमीनिया |
विसूवियस | इटली |
एटना | इटली |
स्ट्रॉम्बोली | भूमध्यसागर |
मैकिन्ले | USA |
शास्ता | USA |
रेनियर | USA |
हुड | USA |
माउंट सेंट हेलेंस | USA |
ओजोस डेल सेलेडो | अर्जेंटीना व चिली |
सबनकाया | पेरू |
कोलिमा | मेक्सिको |
कोटोपैक्सी | इक्वाडोर |
किलायू | हवाई द्वीप |
माउंट इरेबस | अंटार्कटिका |
ज्वालामुखियों के प्रभाव - Volcano Effects In Hindi
नकारात्मक प्रभाव
- मानव जीवन व परिसम्पतियों को नुकसान, मानव निर्मित अवसंरचनाओं, भवनों, बांधों, सड़कों आदि का नष्ट होना।
- ज्वालामुखी उद्गार में प्राप्त पदार्थों से प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हो जाती हैं।
- ज्वालामुखी उद्गार में जलवाष्प, कार्बनडाइऑक्सइड, मीथेन आदि ग्रीन हाउस गैसें निकलती हैं जो भूमंडलीय तापन में वृद्धि कर देती हैं।
- सल्फरडाइऑक्सइड तथा नाइट्रोजन गैसें उद्गारित होने से "अम्ल वर्षा" की सम्भावना बढ़ जाती हैं।
- उद्गार में निकलने वाली क्लोरीन व नाइट्रोजन के ऑक्साइड, ओजोन परत क्षय में वृद्धि करते हैं।
- भू-पृष्ठ पर लावा प्रवाह नदियों के मार्ग को अवरुद्ध कर सकता हैं।
- ज्वालामुखी उद्गार जनित भूकंप और सुनामी की उत्पत्ति।
- जैव-विविधता को क्षति।
- वायु परिवहन में बाधा।
- आर्थिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचना तथा बड़े पैमाने पर जनसंख्या के पलायन से सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने पर भी दुष्प्रभाव पड़ता हैं।
- यदि ज्वालामुखी उद्गार में ज्वालामुखी राख बढ़े पैमाने पर उद्गारित होती हैं तब ज्वालामुखी उद्गार जनित शीत ऋतु की संभावना बढ़ जाती हैं।
सकारात्मक प्रभाव
- ज्वालामुखी उद्गार का अध्ययन कर वैज्ञानिक पृथ्वी की आंतरिक संरचना का ज्ञान प्राप्त करते हैं।
- ज्वालामुखी पृथ्वी के लिए "सुरक्षा कपाट (Safety Volve)" का कार्य करते हैं।
- वर्तमान के वायुमंडल के निर्माण में ज्वालामुखियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं।
- ज्वालामुखी उद्गार में लावा तथा मैग्मा के सहारे विभिन्न खनिज भू-पृष्ठ पर या भू-पृष्ठ के समीप आ जाते हैं जिससे इनकी प्राप्ति आसान हो जाती हैं।
- बेसाल्टिक लावा के अपक्षय से "काली मृदा" का निर्माण होता है, जो कपास तथा अन्य फसलों के लिए अत्यधिक उपयोगी होती हैं।
- ज्वालामुखी उद्गार से प्राप्त राख मृदा के लिए उर्वरक का कार्य करती हैं।
- यह भू-तापीय ऊर्जा का स्रोत हैं।
- ज्वालामुखी उद्गार से कई भू-आकृतियों गेसर, धुँआरे, क्रेटर आदि का निर्माण होता है जो कालांतर में पर्यटन स्थल की तरह विकसित हो जाते हैं तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण पक्ष होते हैं।
- गर्म जल स्रोतों और पंक ज्वालामुखी, चिकित्सा व स्पा जैसी सुविधा भी उपलब्ध कराता हैं।
ज्वालामुखी उद्गार की भविष्यवाणी
ज्वालामुखी उद्गार अचानक होते है, अतः इनके उद्गार के समय सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती हैं किन्तु कुछ उपकरणों तथा इनके लक्षणों की पहचान द्वारा उद्गार के संभावित क्षेत्रों को चिह्नित अवश्य किया जा सकता हैं तथा इसके सहारे उद्गार के संभावित क्षेत्रों को निर्धारित किया जा सकता हैं। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं -
- सिस्मोग्राफ/सिस्मोमीटर द्वारा यहाँ कम्पनों को निरंतर रिकॉर्ड किया जाता हैं। उद्गार के पूर्व कम्पनों की तीव्रता बढ़ जाती हैं।
- Tiltmeter तथा GPS प्रणाली द्वारा क्षेत्र विशेष की धरातल पर होने वाले असामान्य परिवर्तनों के आधार पर ज्वालामुखी उद्गार का अनुमान लगाया जा सकता हैं।
- ज्वालामुखीयों में "SPIDER" नामक रोबोट के सहारे इनके पुनः उद्गारित होने की संभावना का पता लगाया जाता हैं।
- ज्वालामुखी छिद्र के समीप के तापमान का अध्ययन कर भविष्य के उद्गार की संभावना का पता लगाया जाता हैं।
- विभिन्न क्षेत्रों के ज्वालामुखी उद्गार के इतिहास द्वारा भी भविष्य में उद्गारों का अनुमान लगाया जाता हैं।
ज्वालामुखियों से सम्बंधित कुछ शब्दावलियाँ - Volcano Important Terminology In Hindi
1. पायरोक्लास्टिक प्रवाह
2. क्रेटर झील - Crater lake
3. उल्का क्रेटर झील - Meteorite Crater Lake
4. Aa - Aa Lava - (आ - आ लावा)
5. Pa Hoe - Hoe Lava - (पा - होए - होए लावा)
6. सोल्फटारा - Solfatara
7. फ़्रिएटिकमैगनेटिक उद्गार - Phreatomagmatic eruption
8. बेसाल्टिक लावा - Basaltic Lava
9. एंडेसाइट लावा - Andesitic Lava
10. रायोलाइट लावा - Rhyolite lava
11. शिरोधान लावा - Pillow Lava
जब बेसाल्टिक लावा महासागरीय नितल पर उद्गारित होता हैं तब तकिये (pillow) जैसी संरचना का निर्माण करता हैं, इसे शिरोधान लावा कहते हैं।
FAQs
- बैरन द्वीप - अंडमान - सक्रिय
- नारकोंडम - अंडमान - प्रसुप्त
निष्कर्ष
- भूकंप क्या हैं? कारण, प्रभाव और वैश्विक वितरण
- चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात क्या हैं? और कैसे बनते हैं?
- सूर्यातप क्या है? तथा इसको प्रभावित करने वाले कारक
- एल्बिडो, पार्थिव विकिरण, पृथ्वी का ऊष्मा बजट तथा अक्षांशीय ऊष्मा बजट
- प्रवाल तथा प्रवाल भित्ति क्या हैं? अनुकूल दशाएं, प्रकार और वितरण
- Polity Important Terminology In Hindi
- 18 वीं सदी के भारत का इतिहास
- पर्यावरण और पारिस्थितिकी से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्दावली
- Economics Important Terminology In Hindi