संवहन धारा सिद्धांत (Convection Current Theory) भूगोल का एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। इस सिद्धांत से हमें सागर नितल प्रसरण (Sea Floor Spreading), प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonics Theory) और ज्वालामुखी उद्गार (Volcanic Eruption) आदि को समझने में सहायता मिलती हैं। यह सिद्धांत इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वेगेनर के "महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत" की कमियों को दूर करता हैं।
संवहन धारा सिद्धांत क्या है? - What Is Convection Current Theory In Hindi
संवहन धाराएँ पृथ्वी के प्रावार/मैंटल (Mantle) में उत्पन्न मैग्मा का चक्रीय प्रवाह हैं। यह सिद्धांत 1928-29 में "आर्थर होम्स" द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
होम्स महोदय ने पृथ्वी को दो भागों - भू-पृष्ठ और अधःस्तर (Substratum) में विभाजित किया। इनके अनुसार अधःस्तर में रेडियोसक्रिय पदार्थों (Radioactive Materials) से मुक्त ताप ऊर्जा के अधीन स्थापित ताप प्रवणता के कारण मैग्मा का ऊर्ध्वाधर (Vertical) प्रवाह भू-पृष्ठ की ओर होता हैं। मैग्मा भू-पृष्ठ से टकराकर क्षैतिज गति करता है तथा ठंडा होकर पुनः गहराई में प्रवेश करता है। यह चक्र बार-बार दोहराया जाता हैं तथा इसे ही संवहन धारा / संवहन तरंग / संवहन प्रवाह कहते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो पृथ्वी के आंतरिक भाग में स्थित बाह्य कोर में लोहे व निकेल का तप्त चालक द्रव पाया जाता हैं। बाह्य कोर से तापमान और कुछ द्रव दरारों के सहारे मैंटल - कोर बाउंड्री (2900 km) से होता हुआ नीचे से मैंटल की ठोस चट्टानों को पिघलाता हैं तथा पिघली हुई चट्टानें, अपने ऊपर की चट्टानों को पिघलाती हैं (यहाँ ध्यान रखने रखने वाली बात यह हैं की मैंटल की सभी चट्टानें नहीं पिघलती हैं। चट्टानें विभिन्न खनिजों से मिलकर बनती हैं और केवल वे खनिज जिनका गलनांक कम होता हैं, पिघल जाते हैं।) साथ ही मैंटल में उपस्थित रेडियोएक्टिव पदार्थों द्वारा उत्सर्जित तापीय ऊर्जा के अधीन भी कुछ खनिज पिघल जाते हैं।
ये पिघली हुई चट्टानें अर्थात मैग्मा ऊपर की ओर गति करता हैं और भू-पृष्ठ से टकराता हैं। यदि भू-पृष्ठ की परत कमजोर हैं तो ये उसे तोड़कर बाहर निकल आता हैं और यदि भू-पृष्ठ अधिक कठोर हो तो यह उसे तोड़ नहीं पाता और उससे टकराकर क्षैतिज गति करता हैं। क्षैतिज गति करते हुए जब इसका तापमान कम हो जाता हैं तो यह पुनः नीचे की ओर गति करता है तथा नीचे पहुँचकर पुनः अधिक तापमान के कारण तरल हो जाता हैं और दुबारा ऊपर की ओर गति करता हैं, यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती हैं, इसे ही "संवहन धारा" कहा जाता है।
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संवहन धारा के प्रकार - Types Of Convection Current Theory In Hindi
- अपसारी संवहन धारा ( Divergent Convection Current )
- अभिसारी संवहन धारा ( Convergent Convection Current )
1. अपसारी संवहन धारा - Divergent Convection Current
जिस स्थान पर 2 संवहनीय धाराएँ एक-दूसरे से विपरीत दिशाओं में अलग-अलग होकर प्रवाहित होती हैं, वहां अपसरण (Divergence) होने से तनाव शक्ति के अधीन स्थलखंड दो भागों में विभाजित हो जाते हैं।
आसान भाषा में कहे तो जब मैंटल से उठने वाली संवहन धारा भू-पृष्ठ से टकराकर अलग-अलग दिशाओं में प्रवाहित होने लगती हैं तो इससे ऊपर की भू-पृष्ठ पर तनाव बल लगता हैं, ऐसी संवहन धारा "अपसारी संवहन धारा" कहलाती है।
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अपसारी संवहन धाराओं से उत्पन्न तनाव बल के कारण स्थलमंडलीय प्लेट टूट जाती हैं। यदि यह संवहन धारा महासागरीय भू-पृष्ठ के नीचे तनाव बल उत्पन्न करती हैं तो महासागरीय भू-पृष्ठ का प्रसरण होता हैं, जिससे महासागरीय कटकों का निर्माण होता हैं। वहीं यदि अपसारी संवहन धारा महाद्वीपीय भू-पृष्ठ के नीचे उत्पन्न होती हैं तो ये वह "दरारी उद्गार ज्वालामुखी" का निर्माण करती हैं।
2. अभिसारी संवहन धारा - Convergent Convection Current
जिस स्थान पर दो केंद्रों से उठने वाली संवहन धाराएँ भू-पृष्ठ के नीचे पहुँचकर, मुड़कर क्षैतिज दिशा में चलती हुई मिलती हैं वह अभिसरण (Convergence) के कारण दबाव शक्ति का निर्माण होता हैं।
सरल शब्दों कहें तो जब दो अलग-अलग केंद्रों से उठने वाली संवहन धारा जिस जगह मिलती हैं वहा की भू-पृष्ठ पर यह दबाव बल आरोपित करती हैं, ऐसी संवहन धारा "अभिसारी संवहन धारा" कहलाती है।
अभिसारी संवहन धाराओं के कारण स्थलमंडलीय प्लेटें आपस में टकराती हैं। इनके टकराने से महासागरीय गर्त, सुनामी, द्वीप, भूकंप, ज्वालामुखी, वलित पर्वत निर्माण जैसी घटनायें होती हैं, (इसे "प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत" द्वारा बेहतर तरीके से समझा जा सकता हैं।)
इस प्रकार संवहन धारा सिद्धांत उन बलों की व्याख्या करता हैं जो पैंजिया के निर्माण और विखंडन के लिए उत्तरदायी है जहाँ "अभिसारी संवहन धाराएँ" पैंजिया का निर्माण करती हैं, वहीं "अपसारी संवहन धाराएँ" पैंजिया के विखंडन का कार्य करती हैं।
संवहन धारा सिद्धांत की आलोचनाएँ - Criticisms of Convection Current Theory In Hindi
- संवहन धाराओं की दिशा व वेग हमेशा एकसमान नहीं रहता, परिवर्तित होता रहता हैं। क्यूँ होता है ? इसका पता अभी तक वैज्ञानिक नहीं लगा पाए है।
- मैंटल चट्टानी भाग है तो फिर इसमें संवहन धाराएँ किस प्रकार प्रवाहित होती हैं ? इसके बारे में अलग-अलग विद्वानों के अलग-अलग मत हैं।