आज के इस लेख में हम प्राचीन रोमन साम्राज्य के इतिहास (History Of Roman Empire In Hindi) के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे। रोम और यूनान की सभ्यताऐं यूरोप की प्राचीन सभ्यताऐं हैं। रोम की सभ्यता का विकास यूनान की सभ्यता के बाद हुआ था। यूनान की सभ्यता साम्राज्य के स्तर तक नहीं पहुँच पाई थी परन्तु रोम की सभ्यता ने अपना एक विस्तृत साम्राज्य स्थापित किया। लगभग 27 ई.पू. से रोमन साम्राज्य की शुरुआत मानी जाती हैं।
रोम का आरंभिक इतिहास - Early History Of Roman Empire In Hindi
रोमन सभ्यता का मुख्य केंद्र "इटली (Italy)" था। प्राचीन इटली के निवासियों के बारे में मत यह हैं की ये स्पेन, फ्रांस, उत्तरी अफ्रीका आदि क्षेत्रों से यहाँ आकर बसे थे। इटली के निवासी इन्हीं सब के वंशज थे।
रोम नगर की स्थापना लगभग 1000 ई.पू. में 'लैटियम' नामक स्थान पर हुई थी। लैटियम नाम के कारण ही प्राचीन रोमवासियों की भाषा का नाम "लैटिन" रखा गया।
शुरुआत में रोम का शासन एक राजा, एक सभा और एक सीनेट के हाथों में था। राजा निरंकुश नहीं था क्योंकि शासन की सबसे अधिक शक्ति 'सीनेट' के हाथों में थी न की राजा के हाथों में। अंत में लगभग 6 सदी ईसा पूर्व में राजा का पद समाप्त कर दिया गया तथा गणतंत्र की स्थापना हुई और इस प्रकार रोम पहले गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ परंतु यह नाममात्र का गणतंत्र ही था क्योंकि यहाँ सभी को समान अधिकार प्राप्त नहीं थे।
आरंभिक रोमन समाज
आरंभिक रोम का समाज 2 वर्गों में विभाजित था -
- पैट्रिशियन
- प्लीबियन
- 459 ई.पू. में कानूनों की एक संहिता तैयार की गई जो "12 तख्तियों के कानून" कहलाते थे।
रोमन धर्म - Roman Religion
रोमन लोग बहुदेववादी थे अर्थात वे कई देवताओं की पूजा करते थे, उनके कुछ प्रमुख देवी-देवता निम्नलिखित थे -
- जुपिटर - वर्षा का देवता
- मार्स - युद्ध का देवता
- वेस्ता - चूल्हे की देवी
- मर्करी - संदेश लाने वाला देवता
रोम और कार्थेज के मध्य युद्ध (प्यूनिक युद्ध) - Punic Wars In Hindi
रोम द्वारा सम्पूर्ण इटली को जीतने के बाद अन्य क्षेत्रों को जीतने की महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी। रोम व कार्थेज (अफ्रीका के उत्तरी तट पर स्थित) के मध्य "सिसली" (भूमध्य सागर में स्थित एक द्वीप) पर अधिकार के सम्बन्ध में तनाव था, जिस कारण रोम ने कार्थेज पर आक्रमण कर दिया। रोम व कार्थेज नगर के मध्य ये युद्ध लगभग 264 ई.पू. से 146 ई.पू. तक चले, इन्हें "प्यूनिक युद्ध" कहा जाता हैं।
इन प्यूनिक युद्धों में कार्थेज की हार हुई और रोम के निवासियों ने कार्थेज को नष्ट कर वहाँ के निवासियों को दास बना लिया।
आगे लगभग पहली सदी ईसा पूर्व तक रोम ने यूनान, एशिया माइनर और मिश्र पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया और अब रोम एक छोटे राज्य से एक विस्तृत साम्राज्य में परिवर्तित हो गया।
सुला (Sulla) का शासन
लगातार युद्ध लड़ने के कारण रोम का उच्च वर्ग अधिक धनी होता चला गया किन्तु साधारण लोगों की स्थिति खराब होती गई। इसका एक मुख्य कारण था, रोमन शासन प्रणाली में निहित दोष। सुधारों की मांग को लेकर जनता ने विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह में रोम के सेनापति 'मेरियस' ने जनता का साथ दिया। रोम की सरकार ने एक दूसरे सेनापति 'सुला' की सहायता से मेरियस को हराकर विद्रोह को दबा दिया परंतु अब सुला खुद तानाशाह बन बैठा और रोम पर अधिकार कर लिया।
जूलियस सीजर (Julius caesar)
सुला की मृत्यु के बाद तीन सेनानायकों सीजर, क्रेसस और पाम्पी ने मिलकर "ट्राइम विरेट" की स्थापना की और शासन चलाने लगे। सीजर को गॉल प्रान्त (फ्रांस) की सूबेदारी मिली। गॉल प्रान्त में सूबेदार के पद पर काम करते हुए उसने अपनी एक निजी सेना संगठित कर ली और जर्मनी तथा इंग्लैंड के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया और अंत में रोम का शासन भी अपने हाथों में ले लिया।
- सीजर ने पौन्टीफैम्स, मैम्सीमर्स, इम्पेरेटर आदि कई उपाधियाँ धारण की थी।
- सीजर ने कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार किए, उसने सूबों के लगान व अन्य करों में कमी की तथा राजस्व वसूली का काम सरकारी संस्थाओं को सौंप दिया।
- सीजर द्वारा संशोधित कैलेंडर जिसे "जूलियन पंचांग" कहा जाता हैं, जो वर्तमान समय में भी प्रचलित हैं।
- 44 ई.पू. में पाम्पी के अनुयायियों - केसियस व ब्रूटस ने सीजर की हत्या कर दी।
दूसरा ट्राइम विरेट
सीजर की हत्या के कारण रोम में संघर्ष उत्पन्न हो गया, ऐसे में दूसरे ट्राइम विरेट की स्थापना की गई जिसमें "आम्टेवियन" जो की सीजर का दत्तक पुत्र था, "मार्क एंटोनी" (आम्टेवियन का बहनोई), लेपिडस (सीजर का अनुयायी) शामिल थे। इन्होंने सीजर के हत्यारों का पीछा किया किन्तु केसियस और ब्रूटस ने आत्महत्या कर ली।
सत्ता के लिए संघर्ष
सीजर की मृत्यु के बाद ट्राइमविरेट में सत्ता के लिए संघर्ष होने लगा। लेपिडस इस संघर्ष से पहले ही पीछे हट गया और अब आम्टेवियन और मार्क एंटोनी ने रोमन साम्राज्य को आपस में बाँट लिया। पूर्वी देश व मिश्र एंटोनी को मिले वहीं पश्चिमी देश और रोम आम्टेवियन को मिले।
ऐक्टियम के नौ युद्ध (32 BC से 30 BC)
रोमन साम्राज्य के विभाजन के बाद मार्क एंटोनी, जो की आम्टेवियन की बहन का पति भी था, मिश्र की रानी "क्लोपेट्रा" से प्रेम करने लगा और उसने आम्टेवियन की बहन को तलाक दे दिया जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों में तनाव अधिक बढ़ गया और इसका नतीजा हुआ, "ऐक्टियम के नौ युद्ध"। इन युद्धों में एंटोनी की हार हुई और उसने क्लोपेट्रा के साथ मिलकर आत्महत्या कर ली।
अब आम्टेवियन सम्पूर्ण रोमन साम्राज्य का एकमात्र शासक था। उसे रोम की सीनेट ने "आगस्टस" की उपाधि दी और आगे वह "आगस्टस सीजर" के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
आगस्टस सीजर (Augustus Caesar) के सुधार
सम्पूर्ण रोमन साम्राज्य का शासक बनने के बाद सीजर ने अपनी सैनिक शक्ति का उपयोग साम्राज्य विस्तार के लिए न करके साम्राज्य की सुरक्षा के लिए किया। सीजर ने प्रशासन में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए -
- जनसभा में सुधार किए
- लोग रोमन साम्राज्य का नागरिक होने का अनुभव करें इसके लिए उसने प्रांतों को नागरिकता के सभी अधिकार और सुविधाएँ दी।
- उपद्रवी राजनीतिक दलों को बंद करवा दिया
- भ्रष्टाचार का उन्मूलन किया
- सभा से सभी विरोधी सदस्यों को हटा दिया
- प्रांतों में अपने विश्वसनीय सुबेदार नियुक्त किए
- शिक्षा, साहित्य व कला को प्रोत्साहन दिया
- रोम को सभी प्रमुख मार्गों से जोड़कर, रोम को यूरोप का व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया।
सीजर के काल में शांति व्यवस्था स्थापित हुई तथा रोमन संस्कृति की उन्नति हुई जिस कारण उसके काल को "स्वर्ण युग" के नाम से जाना जाता हैं।
आगस्टस सीजर के बाद
सीजर की मृत्यु के बाद कई शासकों ने रोम पर शासन किया जिनमें से टिबेरियस, कैलिगुला, क्लाडिअस, नीरो आदि ने रोमन साम्राज्य पर निरंकुशतापूर्वक शासन किया। नीरो के पश्चात वैस्पासियन सम्राट बना। इसके बाद रोमन साम्राज्य की एकता टूटने लगी। अंत में "कॉन्सटेंटाइन" रोमन साम्राज्य का शासक बना।
कॉन्सटेंटाइन (Constantine)
कॉन्सटेंटाइन ने अपनी एक नई राजधानी का निर्माण करवाया, जिसका नाम उसने "कांस्टेंटिनोपल (कुस्तुन्तुनिया)" रखा। इसके काल में रोमन साम्राज्य का आकर काफी बड़ा हो गया था जिस कारण रोमन साम्राज्य को दो भागों में बाँट दिया गया -
- पूर्वी रोमन साम्राज्य (बाइजेंटाइन साम्राज्य)
- पश्चिमी रोमन साम्राज्य
रोमन साम्राज्य द्वारा ईसाई धर्म अपनाना
शुरुआत में रोमन साम्राज्य का धर्म बहुदेववादी था, उसमें कई देवताओं की पूजा जाती थी। आगे कॉन्सटेंटाइन के काल में "ईसाई धर्म" रोमन साम्राज्य के प्रमुख धर्मों में से एक बन गया तथा बाद में "थिओडोसियन" के काल में ईसाई धर्म रोमन साम्राज्य का राजधर्म बन गया।
रोमन साम्राज्य के विघटन के बाद पश्चिमी रोमन साम्राज्य पर बर्बर जर्मन जनजातियाँ लगातार आक्रमण करती रहती थी जिस कारण लगभग 500 ईस्वी में पश्चिमी रोमन साम्राज्य का पतन हो गया और उस पर जर्मन जनजातियों ने अधिकार कर लिया। परन्तु पूर्वी रोमन साम्राज्य जिसकी राजधानी कुस्तुन्तुनिया थी, काफी लंबे समय तक कायम रहा, आगे चलकर 1453 ईस्वी में ऑटोमन साम्राज्य ने इस पर अधिकार कर लिया और फिर पूर्वी रोमन साम्राज्य का भी पतन हो गया।
पश्चिमी रोमन साम्राज्य के पतन के पश्चात वहां "सामंतवाद" की शुरुआत हुई तथा बाद में एक अन्य शक्तिशाली साम्राज्य "पवित्र रोमन साम्राज्य" का उदय हुआ। इतिहासकारों के अनुसार पश्चिमी रोमन साम्राज्य के पतन के साथ "मध्यकाल" की शुरुआत तथा आगे पूर्वी रोमन साम्राज्य के पतन के साथ "आधुनिक काल" की शुरुआत मानी जाती है।
अन्य महत्वपूर्ण लेख:
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- प्रबोधन क्या है?
- अमेरिकी क्रांति
रोमन सभ्यता की विश्व को देन
- रोमन सभ्यता ने विश्व को सरकार और कानूनों की अवधारणा दी।
- रोमन साम्राज्य में कानून की 3 शाखाओं का विकास हुआ - (i) दीवानी कानून (ii) जनसाधारण कानून (iii) प्राकृतिक कानून
- रोमन साम्राज्य में 'लैटिन भाषा' प्रचलित थी, लैटिन भाषा से ही कालांतर में फ्रांसीसी, स्पेनिश, इतालवी आदि भाषाओं का विकास हुआ।
- रोमन लोगों ने सर्वप्रथम 'कंक्रीट' का प्रयोग आरम्भ किया।
- "कैलेंडर" रोमन लोगों की ही देन हैं।
- वर्तमान में कुछ महीनों के नाम भी रोमन शासकों के नाम पर रखे गए हैं, जैसे की जूलियस सीजर के नाम पर जुलाई, आगस्टस सीजर के नाम पर अगस्त।
- वहीं सितंबर, अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर के नाम लैटिन भाषा के शब्दों 7, 8, 9, 10 से लिए गए हैं।
FAQs
1. रोमन साम्राज्य का पहला शासक कौन था ?
Ans. ऑगस्टस सीजर
2. रोमन साम्राज्य की भाषा क्या थी?
Ans. लैटिन
3. ऐक्टियम के नौ युद्ध कब हुए ?
Ans. 32 BC से 30 BC
4. रोमन साम्राज्य ने किस के काल में ईसाई धर्म को अपनाया ?
Ans. कॉन्सटेंटाइन
5. रोमन साम्राज्य की शुरुआत कब हुई ?
Ans. लगभग 27 BC