इस लेख में हमने यूरोप के Punarjagran की पृष्ठभूमि, अर्थ, कारण, विशेषताएँ, प्रभाव आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी हैं।
यूरोपीय पुनर्जागरण की पृष्ठभूमि - Background of European Renaissance In Hindi
इतिहासकारों के बीच इतिहास के काल-खण्डों को लेकर आमतौर पर विवाद रहा हैं। इतिहासकारों के बीच सामान्य रूप से इस विषय पर कोई सहमति नहीं हैं की कौन-सी घटना या तारीख आधुनिक इतिहास और मध्य कालीन इतिहास से अलग करती हैं। फिर भी इतिहासकार साधारणतः इस बात पर सहमत की 14वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक यूरोप अपने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचे में ऐसे परिवर्तन देखता रहा जिन्हें हम आधुनिक काल का प्रारंभ करने वाला काल कह सकते हैं। यहीं काल यूरोप के पुनर्जागरण का काल था।
यूरोप का मध्यकाल प्राचीन रोम और यूनान की समृद्ध संस्कृति की विलुप्ति का काल था। इस काल में मनुष्य के मस्तिष्क पर रूढ़िवादी चर्च का आवरण छा गया और बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो गया था। परंतु मध्यकाल के अंत के आस-पास कुछ ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हुई जिससे मानव की मनोदशा में चेतना का उदय हुआ।
इस काल में पुनः उन आदर्शों तथा मूल्यों को महत्व दिया जाने लगा, जो मध्यकाल में नगण्य समझे जाने लगे थे, जैसे - लौकिक जगत के प्रति आस्था, मानववाद का विकास, रूढ़िवादिता की जगह तर्क की महत्ता आदि। इस नवचेतना को ही पुनर्जागरण कहा गया।
पुनर्जागरण यूरोप के इतिहास की कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। यह पिछली कई शताब्दियों का परिणाम था। पुनर्जागरण से पहले भी कम से कम दो आंदोलन हुए, पहला, "कैरोलिंगियन पुनर्जागरण" जो 9वीं शताब्दी में हुआ तथा दूसरा, 12वीं शताब्दी का आंदोलन था, जिसमे मानववादी विचारों का विकास हुआ। उत्तर मध्यकाल में अर्ध-निद्रा से उठने के लगातार प्रयास हो रहे थे।
पुनर्जागरण का अर्थ - Meaning Of Renaissance In Hindi
पुनर्जागरण के लिए यूरोप में प्रयुक्त शब्द ''रेनेसाँ'' (Renaissance) फ्रेंच भाषा का शब्द हैं। इस शब्द का प्रथम प्रयोग इटली के ''वैसारी'' ने 16वीं शताब्दी में स्थापत्य तथा मूर्तिकला में आए क्रांतिकारी परिवर्तनों के लिए किया था। इसके पश्चात् 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी विद्वान ''दिदरों'' ने भी कला और साहित्य के नव सृजन हेतु रेनेसाँ शब्द का प्रयोग किया था।
पुनर्जागरण की परिभाषा - Definition of Renaissance
''पुनर्जागरण एक ऐसा बौद्धिक एवं उदार सांस्कृतिक आंदोलन था जिसमे मनुष्य मध्यकालीन बंधनो से मुक्त होकर स्वतंत्र चिंतन की ओर अग्रसर हुआ तथा मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का उन्नयन (upgrade) आरंभ हुआ जिससे उस युग की कला, साहित्य, दर्शन एवं विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में चहुँमुखी प्रगति हुई''।
पुनर्जागरण का काल - Period of Renaissance
पुनर्जागरण की शुरुआत - Beginning of Renaissance In Hindi
- इटली, विदेशी व्यापार का प्रमुख केन्द्र था
- समृद्ध मध्यम वर्ग का उदय
- समृद्ध नगरों की स्थापना
- पूर्व की समृद्ध संस्कृति से सम्पर्क
- कुस्तुन्तुनिया का पतन
- शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन
पुनर्जागरण के कारण - Causes of The Renaissance In Hindi
1. क्रूसेड (धर्म युद्ध )
ईसाइयों और मुस्लिमों के बीच 11वीं सदी से 13वीं सदी के मध्य पवित्र तीर्थ स्थल 'जेरुशलम' को लेकर होने वाले युद्धों को क्रूसेड कहा जाता है। इन युद्धों में भाग लेने वाले यूरोपीय लोगों ने पूर्व की उच्च सभ्यता एवं संस्कृति को नजदीक से देखा जिससे उन लोगों के मस्तिष्क पर से चर्च का प्रभाव कम हुआ और उन में नवीन चेतना का प्रसार हुआ।
2. व्यापारिक समृद्धि
क्रूसेड के बाद यूरोप के पूर्वी देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित हुए जिससे यूरोप में एक नए वर्ग (मध्यम वर्ग) का उदय हुआ और साथ ही कई नये नगर भी अस्तित्व में आए।
3. कुस्तुन्तुनिया का पतन
1453 ई. में ऑटोमन साम्राज्य ने पूर्वी रोमन (बाइजेंटाइन ) साम्राज्य की राजधानी कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार कर लिया। इस कारण यूरोप का पूर्वी देशों के साथ होने वाला व्यापारिक स्थल मार्ग बंद हो गया। अब यूरोपवासियों ने नए वैकल्पिक मार्गो की खोज शुरू कर दी। साथ ही कुस्तुन्तुनिया से यूनानी विद्वान यूरोप पहुंचने लगे और अपने साथ प्राचीन रोम एवं यूनान का ज्ञान, विज्ञानं अपने साथ ले गए।
4. कागज और मुद्रण यंत्र का आविष्कार
15वीं सदी के मध्य में जर्मनी के ''गुटेनवर्ग'' ने एक टाइप मशीन बना दी। 1477 ई. में ''कैक्स्टन'' ने ब्रिटेन में एक छापाखाने की शुरुआत की जिससे अब रोमन व यूनानी साहित्य का जन-जन तक प्रसार हुआ। इस प्रसार ने यूरोपवासियों को, बेकन के कथन "सत्य सत्ता की नहीं, वरन समय की पुत्री हैं" की शिक्षा दी।
5. मानवतावाद का विकास
पुनर्जागरण की विशेषताएँ - Features of the Renaissance In Hindi
- तर्क पर बल
- प्रयोग पर बल अर्थात विचारों की पुष्टि के लिए प्रयोग का महत्व बढ़ा
- मानववाद का समर्थन
- सहज सौंदर्य की उपासना
- नवीन भौगोलिक खोज
- प्रादेशिक भाषाओं एवं लौकिक साहित्य का विकास हुआ
यूरोप में पुनर्जागरण का प्रभाव - Impact of Renaissance in Europe In Hindi
1. साहित्य के क्षेत्र में
पुनर्जागरण से पहले यूरोप में साहित्य का सृजन केवल लैटिन भाषा एवं यूनानी भाषा में होता था। देशी व क्षेत्रीय भाषाएँ असभ्य मानी जाती थी। किन्तु अब साहित्य का सृजन, अध्ययन-अध्यापन, फ्रेंच, स्पेनिश, पुर्तगाली, जर्मन, अंग्रेजी, डच, स्वीडिश, इटालियन आदि क्षेत्रीय भाषाएँ का विकास हुआ। इस काल की निम्नलिखित महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ हैं -
साहित्यकार | रचनाएँ |
---|---|
दांते | डिवाइन कॉमेडी, डी मोनार्किया, वितानोआ |
बुकासियो | डेकेमेरोन, जिनियोलॉजी ऑफ़ गॉड्स |
रेबेलेस | पांतागुवेल, गारगेंतुआ |
जाफरे चौसर | कैंटरबरी टेल्स |
सर टामसमूर | यूटोपिया |
विलियम शेक्स्पीयर | मर्चेंट ऑफ़ वेनिस, रोमियो जूलियट, हेमलेट |
इरैस्मस | मूर्खता की प्रशंसा (In the praise of folly) |
मैकियावेली | द प्रिंस |
एडमंड स्पेंसर | फेयरी क़्वीन |
क्रिस्टोफर मार्लो | द ज्यू ऑफ़ माल्टा |
2. कला के क्षेत्र में
मध्यकाल में जीवन तथा प्रकृति के सौंदर्य में लोगों की विशेष अभिरूचि नहीं थी परंतु इस काल में कला का उद्देश्य जीवन एवं प्रकृति से तारतम्य स्थापित करना था। इस काल में कला एवं सौंदर्य के प्रदर्शन कलाकारों की रूचि बढ़ने लगी। इस समय तक प्लास्टर व लकड़ी के पैनल के स्थान पर कैनवास का इस्तेमाल शुरू हुआ तथा तेल चित्रों (Oil Paintings) की परंपरा शुरू हुई। इस काल के कुछ महत्वपूर्ण चित्रकार और उनके चित्र निम्नलिखित हैं -
चित्रकार | चित्र |
---|---|
लियोनार्डो द विन्ची | मोनालिसा, लास्ट सफर, वर्जिन ऑफ़ रॉक्स |
माइकल एंजेलो | लास्ट जजमेंट |
राफेल | मेडोना |
रेम्ब्रां | रात का पहरा |
मूर्तिकार |
---|
लोरेंजो गिबेर्ती |
माइकल एंजेलो |
दोनातेल्लो |
3. विज्ञान के क्षेत्र में
इस काल में विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। पुनर्जागरण ने मनुष्य को मजहबी नियंत्रण से मुक्त करके स्वतंत्र रूप से विचार करने का अवसर दिया। कोपरनिकस, ब्रूनों, जॉन कैप्लर, आइजक न्यूटन, देकार्ते, गैलिलियो, वेसेलियस आदि इस काल के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक थे।
4. अन्य परिणाम
- निरंकुश राजतंत्र का विकास
- राज्य एवं धर्म का पृथक्करण
- राष्ट्रीयता का विकास
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास
- भौतिकवादी दृष्टिकोण का विकास
- अभिव्यक्ति भावना का विकास
- पुरातन के प्रति मोह भंग
- धर्मसुधार आंदोलन के लिए पृष्ठभूमि तैयार की
Ans. यूरोप का मध्यकाल प्राचीन रोम और यूनान की समृद्ध संस्कृति की विलुप्ति का काल था। इस काल में मनुष्य के मस्तिष्क पर रूढ़िवादी चर्च का आवरण छा गया और बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो गया था। परंतु मध्यकाल के अंत के आस-पास कुछ ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हुई जिन्होंने मनुष्य को चेतनायुक्त बनाया, यही चेतना पुनर्जागरण कहलाती हैं।
Ans. पुनर्जागरण सामान्यतः 14वीं से 16वीं शताब्दी (1350 ई. से 1550 ई.) के मध्य माना जाता हैं।
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