विश्व इतिहास के इस लेख में Audyogik Kranti (Industrial Revolution in Hindi) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई है। औधोगिक क्रांति विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है क्योंकि इसी से ही विश्व में मशीनी युग की शुरुआत हुई थी।
पृष्ठभूमि - Industrial Revolution in Hindi
18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में वैज्ञानिक आविष्कारों ने मशीन युग की शुरुआत की, जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हुआ। 18वीं सदी से पूर्व भी वैज्ञानिक आविष्कार हुए परन्तु उनकी संख्या बहुत कम थी, जिससे उत्पादन संबंधी परिवर्तन बहुत मंद गति से हुए। इसके अलावा उन आविष्कारों का व्यवहारिक उपयोग नहीं हो सका। मध्यकाल में वैज्ञानिक आविष्कारों के कम होने का एक कारण यह भी हैं की उस काल में विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के हाथों में ही सारा नियंत्रण था, यह वर्ग परिवर्तन से डरता था और आविष्कारों का अर्थ निश्चय ही परिवर्तन लाना था। इसके साथ ही उस काल में दास और कृषि दास बढ़ी संख्या में मौजूद थे, तब विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग को मशीनों की आवश्यकता अनुभव नहीं हुई।
किन्तु 18वीं सदी के अंत में कई परिवर्तन आने शुरू हो गए थे और इन परिवर्तनों को बदलती हुई विचारधारा ने हवा दी। अब घरेलू उत्पादन की जगह कारखाना पद्धति ने ले ली। मनुष्य ने शक्ति चालित मशीनों को बनाना शुरू कर दिया। आधुनिक व्यापार तंत्र का विकास हुआ और व्यापार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई।
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ - Industrial Revolution Meaning in Hindi
'औद्योगिक क्रान्ति' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांस के "जार्जिस मिशले" और जर्मनी के "काइड्रिक एन्जेम" द्वारा किया गया। अंग्रेजी में इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग दार्शनिक और अर्थशास्त्री "अरनॉल्ड टॉयनबी" द्वारा उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 ई. से 1820 ई. के बीच हुए थे।
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ उस आर्थिक व्यवस्था से हैं जो परंपरागत कम उत्पादन और विकास की निम्न अवस्था से निकलकर आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश करती हैं, जिससे अधिक उत्पादन, जीवन का रहन-सहन और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती हैं और उत्पादन दर निरंतर बढ़ती रहती हैं, जिसका मनुष्य, समाज और राज्य पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत
औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत इंग्लैंड से हुई थी और फिर धीरे-धीरे इसका प्रसार विश्व के अन्य देशों में हो गया। 1750-1850 ई. की अवधि के दौरान इंग्लैंड में लगातार कुछ ऐसे परिवर्तन हुए, जिनकी वजह से वहाँ उत्पादन की फैक्ट्री शुरू हो गई। विभिन्न प्रकार की मशीनें बनने लगी और उनको चलाने के लिए भाप का प्रयोग जाने लगा। साथ ही परिवहन के साधनों का विकास होने से देश के आंतरिक और विदेशी व्यापार में काफी वृद्धि हुई।
इंग्लैंड से औद्योगिक क्रान्ति शुरू होने के कारण
- लोहे एवं कोयले की खानों का पास-पास होना
- इंग्लैंड की अनुकूल भौगोलिक स्थिति
- मांग के अनुरूप उत्पादन की व्यवस्था
- इंग्लैंड का विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य
- इंग्लैंड का मुक्त समाज
- अर्द्धकुशल श्रमिकों की उपलब्धता
- फ्रांसीसी क्रांति और युद्ध
- इंग्लैंड में शान्ति व्यवस्था
- पूँजी का प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होना
- बैंकिंग प्रणाली स्थापित होना
- राजनीतिक स्थायित्व एवं सुशासन का होना
- वैज्ञानिक आविष्कारों को प्रोत्साहन देना
- व्यापारी वर्ग का प्रभावी होना
- कृषि क्रांति
औद्योगिक क्रान्ति से ब्रिटेन में हुए परिवर्तन
1. वस्त्र उद्योग में परिवर्तन
औद्योगिक क्रान्ति वस्त्र उद्योग से शुरू हुई थी। यूरोप में वस्त्रों की बढ़ती हुई मांग को पुराने तरीके से पूरा नहीं किया जा सकता था। "स्पिनिंग जेनी" के आविष्कार ने वस्त्र निर्माण में तेजी ला दी तथा इस समय तक ब्रिटेन का भारत के कई भागों पर अधिकार हो चूका था जिस कारण से उसने भारत से कपास का आयात करना आरम्भ कर दिया। क्रांति के इस काल में फ्लाइंग शटल, वाटरफ्रेम, म्यूल, पावरलूम, कॉटन जिन, बुनाई मशीन, सिलाई मशीन आदि का आविष्कार हुआ।
2. लौह उद्योगों में नई तकनीकी का प्रयोग
नई-नई मशीनें बनाने के लिए लोहे की मांग बढ़ने लगी। पुरानी पद्धति से इस माँग की पूर्ति संभव नहीं थी क्योंकि यह अधिक महँगी और श्रमसाध्य थी। 1709 ई. में "धमन भट्टी" के आविष्कार ने धातुकर्म उद्योग में क्रांति ला दी। इसने लौह अयस्क को पिघलाने और साफ करने के कार्य को सुगम बना दिया। आगे चलकर इस्पात की खोज हुई जिसने अधिक वजन और जंग लगने की समस्या का समाधान कर दिया क्योकि इस्पात हल्का और जंगरोधी होता हैं।
3. कृषि के क्षेत्र में परिवर्तन
उद्योगों के विस्तार ने नगरीकरण को प्रोत्साहन दिया। नगरों में जनसंख्या बढ़ने लगी जिस कारण अधिक कच्चे माल और अन्न की आवश्यकता हुई और इसे पुराने तरीकों से पूरा करना संभव नहीं था इसलिए नए कृषि मशीनों का आविष्कार हुआ। बीज बोने के लिए मशीन बनाई गई, बड़े-बड़े कृषि फार्म बनाये गए, थ्रेसिंग मशीन का आविष्कार हुआ तथा 'टाउनशैड' ने फसल चक्र का सिद्धांत दिया।
4. नवीन तकनीकी के प्रवेश से सड़क एवं नहरों का निर्माण
सड़क निर्माण की नई तकनीकी लाई गयी जिसमें सड़क के निचले भाग में भारी पत्थरों की परत, उसके बाद छोटे-छोटे पत्थरों की परत और फिर मिट्टी की एक परत जमाई गई। इस प्रकार की सड़कें अधिक टिकाऊ और उपयोगी सिद्ध हुई।
नहरों के निर्माण से माल ढोने का खर्च आधा हो गया। 1869 ई. में एक फ्रांसीसी इंजीनियर "फर्डिनांद द लैस्सैप" ने स्वेज नहर का निर्माण किया जिससे यूरोप और भारत के बीच की दूरी एक-तिहाई कम हो गई।
5. संचार के क्षेत्र में प्रयोग
6. वाष्प इंजन
नई मशीनों के आविष्कार के साथ उनको चलाने के लिए नये शक्ति श्रोतों की आवश्यकता हुई। अभी तक जल और पवन शक्ति का प्रयोग किया जाता था। वाष्प इंजन के आविष्कार ने मशीनों को ऊर्जा प्रदान की और उनकी गति को बढ़ाया।
औद्योगिक क्रान्ति के परिणाम - Impact of Industrial Revolution
1. आर्थिक परिणाम
- आर्थिक असंतुलन
- नगरों का विकास
- बैंक एवं मुद्रा का विकास
- कुटीर उद्योगों का विनाश
- उत्पादन एवं वाणिज्य में असाधारण वृद्धि
- राष्ट्रीय बाजारों को संरक्षण
- औद्योगिक पूंजीवाद का विकास
2. सामाजिक परिणाम
- जनसंख्या में वृद्धि
- नये सामाजिक वर्गों का उदय
- श्रमिकों की स्थिति में अधिक गिरावट
- मानवीय संबंधों में गिरावट
- गन्दी बस्तियों की समस्या
- नई संस्कृति का जन्म
- नैतिक मूल्यों में गिरावट
3. राजनीतिक परिणाम
- राजनीतिक लोकतंत्र की मांग
- औपनिवेशिक प्रतिस्पर्धा की शुरुआत
- मध्य वर्ग की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं का उदय
- श्रमिक आंदोलन का उदय
4. वैचारिक परिणाम
- आर्थिक उदारवाद का स्वागत
- समाजवाद का उदय
FAQs
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- धर्मसुधार और प्रतिधर्मसुधार आंदोलन क्या थे?
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