एक ही जिंदगी हैं तो कुछ मुकाम तो होगा
निकल गए सफर पर, तो ठहरने का मकान तो होगा,
कोई सुने या ना सुने आवाज तेरी
वो सब कहने को, सारा जहाँ तो होगा।।
तुम्हें खो कर
यूँ तन्हा गुजरता हैं ये वक्त,
जैसे हम ही मर गए हो...!!
इश्क पर ऐतराज ना करो,
मौसम बदलते ही
ये हवा रुक जाती हैं...!
आसमाँ, तुझे देखकर
जमी का ख्याल आया,
सितारे टूट-टूट कर गिरते रहे
और ना जाने समंदर में कैसा सैलाब आया।।
जब समंदर में ही आग लगी हो तो
तुझसे मिलना कैसा.... !!
इश्क का समंदर खुला ही रहा,
आसमां ने भी टोका और वो भी गुलाबी रहा,
इश्क़ का झोखा यूँ बार-बार आता रहा
हम चर्चा में थे और वो बुलाता रहा ।।
इश्क़ में हर हसरतें अधूरी रह जाती हैं
जब मुहब्बत को लोग,
खेल समझने लगते हैं ।।
सच कहूँ तो,
तुम्हें देखकर ऐसा लगता हैं
की मैंने सारी जिंदगी जी ली हैं।।
मुश्किल दौर में हम हमेशा अकेले होते हैं
और यहीं वक्त होता हैं,
समंदर की गहराई मापने का...!!
ये जो देखते हैं ख्वाब हम
वो कल साकार होगा,
छोटे हैं सपने
पर उनका भी बड़ा आकर होगा
और समेट लेंगे
सारी खुशियाँ ज़माने की
वरना! यूँ तो जीना बेकार होगा.... !
ये जो देखते हैं ख्वाब हम
वो कल साकार होगा... !!
जो अपनी कीमत खो देता हैं,
उसे रास्ते भी याद नहीं रखते ....!
जब सफर में अकेले चलोगे
तो सिर्फ अँधेरा ही दिखाई देता हैं,
पर! चलते रहना हैं,
आगे उजाला तुम्हारा इतंजार कर रहा हैं.... !!
जिंदगी एक सुनसान रास्ता हैं
जहाँ दिखाई तो बहुत कुछ देता हैं,
पर असल में होता कोई नहीं हैं।
खुश रहना और मजे करना
हमारे बस में नहीं क्योंकि
वक्त हमसे, बहुत मजे लेता हैं।
झूठी तालीमों पर वो मुस्कुराते रहे
कुछ उन पर तालियो से खुद को सिकंदर बनाते रहे।
पर अफसोस! मिला ना कोई सच्चा रहबर,
और न जाने फिर भी क्यों?
हम अपना हुनर आजमाते रहे।।
कहानियाँ बनती हैं और
अक्सर बिगड़ भी जाती हैं
नाम तो , तकदीरों से होता हैं
वरना पुरानी कथाएँ भी अब
कहां सुनाई जाती हैं।
माना एक दिन मिट जाऊंगा मैं
तेरे हाथों से, रेत सा फिसल जाऊंगा मैं।
जब भी मुस्कुराओगे, भीगी पलकों से,
कसम से, बहुत याद आऊंगा मैं।।
-: अशोक कुमार मच्या
Bahut khoob
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