पूंजीवाद (Capitalism)
पूंजीवाद से आशय एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था से हैं, जहाँ वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन व उनकी कीमतें केंद्रीय सरकार द्वारा नहीं बल्कि बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती हैं। अर्थात मांग एवं आपूर्ति से संचालित अर्थव्यवस्था, पूंजीवाद का मूल हैं। इस व्यवस्था में पूंजीगत वस्तुओं पर निजी स्वामित्व की धारणा स्वीकार की जाती हैं। पूंजीवाद का शुद्धतम रूप मुक्त बाजार की स्थिति है, जहाँ सरकार बाजार के लिए 'अहस्तक्षेप' की नीति अपनाती हैं।
आज अधिकांश देश मिश्रित पूंजीवाद को अपनाते हैं, जहाँ अधिकांश हिस्सा बाजार के हवाले हैं तथा कुछ हिस्से पर सरकार नियंत्रण रखती हैं।
न्यू डील नीति (New deal policy)
न्यू डील नीति अमेरिकी राष्ट्रपति डी. रूजवेल्ट द्वारा शुरू की गई घरेलु योजनाओं की एक सीरीज थी। महान आर्थिक मंदी (1929 ई.) के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का पहुँचा था, जिसे ठीक करने के लिए 1930 के दशक में न्यू डील नीति के माध्यम से बहुआयामी सरकारी कार्यक्रम चलाये गए। यह नीति अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड केंस के विचारों से प्रेरित थी। केंस अर्थव्यवस्था को बाजार के हवाले छोड़ देने की बजाय उसमें सरकारी हस्तक्षेप के पक्षधर थे। रूजवेल्ट ने इस सिद्धांत के प्रति सहमति दिखाई जबकि परंपरागत अमेरिकी अर्थव्यवस्था सरकारी अहस्तक्षेप की नीति को मानती रही थी।
आधार दर (Base rate)
आधार दर RBI (रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा तय की गई वह न्यूनतम दर हैं, जिससे कम दर पर कोई भी वाणिज्यिक बैंक अपने ग्राहकों को ऋण नहीं दे सकती। यह व्यवस्था 2010 में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य ऋण व्यवस्था को पारदर्शी बनाना और ग्राहकों के साथ यथासंभव समान व्यवहार करना हैं।
RBI के निर्देश के अनुसार सभी वाणिज्यिक बैंकों को अपनी शाखा और वेबसाइट पर आधार दर को सार्वजनिक करना जरुरी हैं।
संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural unemployment)
यह बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में आए संरचनात्मक बदलाव के कारण उत्पन्न होती हैं। वस्तुतः प्रौद्योगिकी (Technology) एवं उत्पादन तकनीकी में परिवर्तन के कारण परंपरागत श्रमिक अप्रासंगिक हो जाते हैं, और इसलिए वे बेरोजगार हो जाते हैं। ऐसे बदलाव के समय रोजगार की मांग तो बनी रहती हैं लेकिन उसके अनुकूल कौशल नहीं मिल पाता। यह एक दीर्घकालीन समस्या हैं।
गैर - निष्पादित परिसंपत्ति (NPA)
इसका तात्पर्य ऐसे ऋण या अग्रिम से हैं, जिसके मूलधन या ब्याज का भुगतान 90 दिन या उससे अधिक समय से बकाया हो। कृषि ऋण के संबंध में देखे तो यदि लघु अवधि फसल वाले कृषि ऋण का 2 फसल मौसम तक तथा दीर्घ अवधि फसल वाले कृषि ऋण का 1 फसल मौसम तक मूलधन की किश्त या ब्याज जमा नहीं किया जाता हैं तो उसे NPA मान लिया जाता हैं।
[NPA :- Non performing assets]
विनिवेश (Disinvestment)
विनिवेश का अर्थ सरकार द्वारा अपनी परिसंपत्ति या सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमो से अपनी हिस्सेदारी को बेचना हैं। इस बिक्री से सरकार को अतिरिक्त धन की प्राप्ति होती हैं, जिससे कल्याणकारी योजनाओ के वित्तीयन में मदद मिलती हैं। यह उदारवादी व्यवस्था का एक लक्षण हैं। भारत में DIPAM (Department of investment and public asset management) विनिवेश के लिए प्रमुख संस्था हैं।
हब एंड स्पोक मॉडल (hub and spoke model)
यह वस्तुओं और सेवाओं के वितरण के लिए अपनाई जानी वाली एक पद्धति हैं। इसमें एक केंद्र होता हैं, जिसे 'हब' कहते हैं। सभी वस्तुएँ या सेवाएँ या तो इसी हब में उत्पादित होती हैं या फिर यहाँ संकेन्द्रित की जाती हैं। इसके बाद 'स्पोक' के सहारे इसे विभिन्न केंद्रों तक पहुँचाया जाता हैं। यह पद्धति "Point to point model" की तुलना में कम खर्चीली होती हैं।
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं- Airlines सेवा में कुछ एयरपोर्ट्स हब होते है जहाँ से दुनिया भर के लिए उड़ाने भरी जाती हैं और ये हब विभिन्न संपर्क उड़ानों के माध्यम से घरेलू एयरपोर्ट (स्पोक) से जुड़े होते हैं।
बिटकॉइन (Bitcoin)
यह एक digital या virtual मुद्रा (currency) हैं, जिसका इस्तेमाल इंटरनेट के माध्यम से किया जाता हैं। यह रुपये या डॉलर की तरह भौतिक रुप में नहीं पाया जाता हैं। इसे किसी राष्ट्र या केंद्रीय एजेंसी द्वारा संचालित नहीं किया जाता हैं, बल्कि यह एक open network से संचालित होता हैं। इसे बिना किसी बैंक की मध्यस्थता से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक भेजा जा सकता हैं। 2009 में यह मुद्रा अस्तित्व में आई थी।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
GDP (gross domestic product) किसी देश की घरेलू सीमा के भीतर एक निश्चित सीमा में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य का योग होता हैं। GDP किसी देश की अर्थव्यवस्था को मापने का एक सूचक हैं।
GDP का आकार आर्थिक विकास का समानुपाती होता हैं। उत्पादन प्रणाली के बाधित होने से GDP का आकार घट जाता हैं।
अल्प-रोजगार (Underemployment)
यह किसी भी अर्थव्यवस्था में श्रम उपयोगिता को मापने का एक साधन हैं अर्थात श्रमिकों को उनके कौशल और अनुभव के अनुरूप कार्य प्राप्त हो रहा हैं या नहीं। इस प्रकार जब कोई उच्च कौशल प्राप्त श्रमिक निम्न कौशल और कम वेतन वाले कार्य में लगा होता हैं, तो यह अल्प रोजगार की स्थिति को दर्शाता हैं। यह अर्थव्यवस्था की उत्पादकता को सीमित करता हैं।
मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
इसका उपयोग व्यापार को सरल बनाने के लिए किया जाता हैं। FTA (Free trade agreement) के तहत संबंधित देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी आदि को आसान बनाया जाता हैं। जिन देशों के बीच ऐसा समझौता होता हैं, उनके बीच प्रायः व्यापार की दशाऐ बेहतर हो जाती हैं।
बजट (Budget)
बजट, भविष्य की एक निश्चित अवधि के लिए आय एवं व्यय के अनुमान का एक औपचारिक विवरण होता हैं। इस प्रकार यह एक वित्तीय योजना हैं जो अमूमन एक वर्ष के लिए तैयार की जाती हैं। इसमें भविष्य के लक्ष्यों को पाने और उसके लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता का लेखा-जोखा होता हैं। बजट का निर्धारण एक व्यक्ति, परिवार, व्यवसाय, राज्य या फिर राष्ट्र के लिए किया जाता हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 112 में पूरे राष्ट्र के लिए बजट निर्धारण का प्रावधान हैं, जिसे संविधान में 'वार्षिक वित्तीय विवरण' कहा गया हैं। लोकप्रिय रुप में इसे ही "आम बजट" कहा जाता हैं।
कॉल मनी (Call money)
'कॉल मनी' ऐसे ऋण को कहते हैं जो अगले दिन की वापसी की शर्त पर प्रदान किया जाता हैं। कॉल मनी का उपयोग बैंकों के आपसी लेन-देन में होता हैं। जिस दर पर बैंक आपसी लेन-देन करते हैं उसे "कॉल रेट" कहते हैं। कॉल मनी के विनियम के लिए स्थापित जगह को "कॉल मनी मार्केट या इंटर बैंक कॉल मनी मार्केट" कहते हैं।
कॉल मनी मार्केट का सबसे बड़ा केंद्र लंदन में हैं। भारत में इसका सबसे बड़ा केंद्र मुंबई में हैं।
सतत वित्त (Sustainable finance)
निवेश निर्णय के ऐसे विकल्प जो एक आर्थिक गतिविधि के पर्यावरणीय, सामाजिक और शासकीय (ESG) कारकों का ध्यान रखते हैं, उन्हें सतत वित्त कहा जाता हैं। पर्यावरणीय कारकों में जलवायु संकट को कम करना या सतत संसाधनों का उपयोग शामिल हैं। सामाजिक कारकों के अंतर्गत मानव और पशु अधिकार, साथ ही उपभोक्ता संरक्षण शामिल हैं। शासकीय कारक सार्वजनिक और निजी दोनों संगठनों के प्रबंधन , कर्मचारी संबंधो आदि की पद्धति को सन्दर्भित करते हैं।
बफर स्टॉक (Buffer stock)
बफर स्टॉक एक ऐसी व्यवस्था हैं जिसके अंतर्गत मूल्यों में उतर-चढ़ाव से बचने के लिए और आकस्मिक आपातकालीन स्थितियों में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्नों का भंडार किया जाता हैं। अंतर्गत अच्छे उत्पादन की स्थिति में न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर खाद्यान्नों का क्रय कर उनका संग्रह कर लिया जाता हैं, ताकि अधिक उत्पादन की स्थिति में बाजार में उनकी कीमतों को निर्धारित मूल्य स्तर से काम होने से रोका जा सके एवं इसी प्रकार कम उत्पादन की स्थिति में इस बफर स्टॉक अर्थात भंडारित खाद्यान्नों को निर्गमित करके बाजार में उनकी कीमतों को निर्धारित मूल्य स्तर से अधिक होने से रोका जा सकता हैं।